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…तो इसलिए राजा भैया सपा से नाता तोड़ थामेंगे भाजपा का दामन

जानिये, राजा भैया के भाजपा में शामिल होने की सबसे बड़ी वजह

नोएडाAug 21, 2016 / 12:33 pm

lokesh verma

Raja bhaiya

Raja bhaiya

अमित शर्मा.नई दिल्ली/नोएडा। बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्य को तोड़कर अपने पाले में मिला चुकी भाजपा अब अगला बड़ा झटका सपा को देने वाली है। खबर है कि समाजवादी धड़े में प्रमुख ठाकुर चेहरा राजा भैया अब समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। उनके बीजेपी में जाने की सम्भावना जताई जा रही है। गम्भीर अंतर्कलह से गुजर रही सपा के लिए यह बड़ी चोट साबित होने वाली है।

बताया जा रहा है कि राजा भैया अकेले ही सपा का साथ नहीं छोड़ेंगे, बल्कि उनके साथ कई अन्य ठाकुर नेता भी सपा का साथ छोड़ सकते हैं। कहा जा रहा है कि कुछ राजपूत विधायक अभी से राजा भैया के सम्पर्क में हैं। कुछ और नेताओं से इस मुद्दे पर राय मशविरा चल रहा है। अगर इन विधायकों को अपने राजनीतिक भविष्य के प्रति कुछ आश्वासन भाजपा की तरफ से मिल जाता है, तब शीघ्र ही सपा से यह धड़ा जल्द ही टूट सकता है।

यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया प्रतापगढ़ के कुंडा क्षेत्र से स्वतन्त्र विधायक हैं और वे सपा सरकार को बाहर से ही समर्थन कर रहे हैं।

क्या है सपा का साथ छोड़ने की वजह

अखिलेश सरकार में खाद्य एवं वितरण विभाग मंत्री का पद सम्भाल रहे राजा भैया आखिर किस लालच में समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ने की कोशिश कर सकते हैं, यह सवाल सभी के मन में कौंध रहा है। जानकारों के मुताबिक राजा भैया के सपा छोड़ने की असली वजह कुछ और ही है। राजा भैया की इस कहानी को समझने के लिए यह समझना जरूरी हो जाता है कि वे समाजवादी पार्टी के साथ आये क्यों थे।

मायावती ने पोटा लगाकर कराया था गिरफ्तार


दरअसल जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं तब वह राजा भैया के खिलाफ थीं। उन्होंने प्रतापगढ़ के राजपरिवार के इस नेता से व्यक्तिगत अदावत दिखाते हुए उन्हें गिरफ्तार कराने की चाल चली। एक भाजपा विधायक पूरन सिंह बुन्देला की शिकायत पर उन पर तत्कालीन कानून पोटा लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उनके साथ उनके पिता और भाई को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में मायावती ने राजा भैया को आधिकारिक रूप से आतंकवादी घोषित करा दिया था।

मुलायम सिंह ने सरकार बनते ही हटवाया था पोटा


राजा भैया को जेल में रहते हुए उस समय बड़े राजनीतिक संरक्षण की जरूरत थी जो उन्हें मुलायम सिंह के रूप में मिला। कुछ समय के बाद मुलायम सिंह की सरकार बनी और सरकार बनने के आधे घण्टे बाद ही राजा भैया पर से पोटा हटा लिया गया था। हालांकि कोर्ट ने सरकार की इस सिफारिश को खारिज कर दिया था। मुलायम सिंह के साथ आने के बाद राजा भैया ने न सिर्फ चुनाव जीता, बल्कि उन्हें मंत्री पद भी मिला।

फिर मायावती का डर


यहां यह जानना भी जरूरी है कि राजा भैया के ऊपर अभी भी कई मुकदमे दर्ज हैं और उन्हें इस बात की पूरी आशंका है कि अगर मायावती सत्ता में वापस आती हैं तो वे उनसे फिर अपनी अदावत निभाने की कोशिश कर सकती हैं। इससे बचने के लिए ही राजा भैया को अब एक ऐसे राजनीतिक संरक्षण की जरूरत है, जो उन्हें ऐसी किसी भी सूरत में न सिर्फ उन्हें बचा सके, बल्कि मायावती को भी कंट्रोल कर सके।

यह है भाजपा में शामिल होने की सबसे बड़ी वजह

राजा भैया की इस जरूरत को पूरी करने में लिए भाजपा ही सबसे मुफीद पार्टी हो सकती है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा के विकल्प के रूप में सपा और भाजपा ही सामने हैं। राजा भैया को पता है कि अखिलेश सरकार की स्थिति कानून-व्यवस्था पर इस कदर खराब है कि उसकी वापसी की कोई सम्भावना नहीं है। यानी सत्ता बसपा या भाजपा के ही बीच रहने वाली है। अगर बीजेपी की सम्भावना अच्छी बनी और उसकी सरकार बन जाती है तो राजा भैया के लिए इससे अच्छी बात और क्या होगी। अगर कहीं बीजेपी की सरकार नहीं भी बनती है तो भी वह केंद्र में है और सीबीआई उसके पास है। यानी वह यूपी में सत्ता में न रहकर भी यूपी सरकार पर दबाव बनाने की स्थिति में होगी। यही स्थिति राजा भैया को बीजेपी की तरफ ले जाने का अहम कारण बन गयी है।

भाजपा के साथ रहा है पुराना नाता

कुंडा क्षेत्र से विधायक राजा भैया का भाजपा से पुराना नाता रहा है। वे 1997 में कल्याण सिंह के मन्त्रीमण्डल में मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा 1999 के रामप्रकाश गुप्ता और 2000 के राजनाथ सिंह की सरकार में भी उन्होंने मंत्री पद सम्भाला हुआ है। यानी अगर वह भाजपा के साथ आते हैं तो इसमें कुछ नया नहीं होगा।

और भी है वजह


दबंग राजनीति करने में माहिर राजा भैया को सिर्फ मायावती के कारण ही बीजेपी की तरफ जाना पड़ रहा हो, ऐसा भी नहीं है। लोगों का मानना है कि राजा भैया को सम्भालना मायावती के लिए तब भी आसान नहीं था। जबकि वह प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं और सारी प्रशासनिक मशीनरी उनके हाथ में थी। माना जाता है कि उनकी भाजपा के प्रति बढ़ती रुचि के और भी कारण हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश और खासकर उनके गृहक्षेत्र प्रतापगढ़ की स्थिति भी बहुत हद तक जिम्मेदार है।

दरअसल राजा भैया का क्षेत्र साम्प्रदायिक राजनीति के लिहाज से अतिसंवेदनशील कैटेगरी में शामिल है। यहां एक बार एक दलित बच्ची के साथ कुछ मुस्लिम युवकों के द्वारा सामूहिक दुष्कर्म करने की घटना घट गयी थी। जिसके बाद पूरे क्षेत्र में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इस स्थिति में राजा भैया ने दलित बच्ची को न्याय दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इसी तरह की कई घटनाओं में अपनी प्रमुख भूमिका निभाने के बाद क्षेत्र में उनकी छवि कट्टर हिन्दू नेता के रूप में बन चुकी है।

खुद उनके साथ रहने वाले समर्थकों में भी अनेक लोग बीजेपी के समर्थन में रहते हैं। इन समर्थकों का भी दबाव है कि जिस तरह की परिस्थितियां बन रही हैं, उनमें राजा भैया को बीजेपी ज्वाइन कर लेनी चाहिए।

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