यह भी पढ़ें- सपा के दिग्गज नेताओं ने सीएम योगी को दिखाए काले झंडे तो पुलिस ने लूट, डकैती, मारपीट जैसी गंभीर धाराओं में दर्ज किया केस गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में हार से सबक लेने के बाद बीजेपी नेता कैराना लोकसभा उपचुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। चुनावी समीकरण भाजपा के पक्ष में करने के लिए नेहरू नगर स्थित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कार्यालय में बीजेपी नेताओं ने एक बैठक की। इस मौके पर पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल, कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, कैबिनेट मंत्री
बलदेव सिंह औलख और कैबिनेट मंत्री धर्मपाल व राज्य मंत्री अतुल गर्ग भी शामिल हुए। पार्टी सूत्रों के अनुसार, मीटिंग में शामिल नेताओं का कहना था कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी का नाम जल्द घोषित कर दिया जाए, ताकि पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति न बने।
यह भी पढ़ें- प्रेमिका के घर वालों ने प्रेमी को पहले घर पर बुलाया, इसके बाद दी ऐसी सजा कि देखने वाले भी कांप उठे उल्लेखनीय है कि कैराना में कानून-व्यवस्था ही सबसे बड़ा सवाल रहा है। कैराना लोकसभा क्षेत्र में करीब 17 लाख मतदाता हैं। इनमें तीन लाख मुसलमान, लगभग चार लाख पिछड़े और करीब डेढ़ लाख वोट जाटव दलितों के हैं, जो बसपा का परम्परागत वोट बैंक माना जाता है। हालांकि यहां यादव मतदाताओं की संख्या कम है। ऐसे में सपा-बसपा गठबंधन हुआ तो यहां दलित और मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आएंगे और भाजपा के लिए खासी मुश्किल भी पैदा कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें- शामली में उपचुनाव का शंखनाद, पार्टियों के साथ प्रशासन भी हुआ मुस्तैद-देखें वीडियो जानकारों की मानें तो इस सीट पर रालोद की पकड़ भी अच्छी है। 1999 तथा 2004 के लोकसभा चुनाव में रालोद के सांसद रह चुके हैं। ज्ञात हो कि रालोद ने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में भी विपक्ष का साथ दिया था। अगर सपा-बसपा के साथ रालोद का वोट भी जुड़़ जाता है तो भाजपा के लिये मुश्किल और बढ़ सकती है। वहीं भाजपा ने पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में पलायन के मुद्दे को शामिल किया था, लेकिन वह भाजपा को जीत नहीं दिला सका था। इसके चलते कैराना विधानसभा सीट से हुकुम सिंह की बेटी भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह को हार का सामना करना पड़ा था।