कैराना उपचुनाव में भाजपा ने कर दिया ऐसा काम कि पीछे रह गए सभी दल, मच गई हलचल
उसके नाम से जनता ही नहीं बल्कि पुलिस और नेताओं में भी दहशत थी। 1998 में जब श्रीप्रकाश शुक्ला को पकड़ने के लिए एसटीएफ की टीम का गठन किया गया। राजेश कुमार पांडे उस टीम का हिस्सा थे। इन्होंने 90 दशक में खुद प्लानिंग कर श्रीप्रकाश शुक्ला को एनकाउंटर में मार गिराया था। उन दिनों की चर्चा करते हुए राजेश कुमार पाण्डेय कहते हैं कि देश में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम की शुरूआत हुई थी।कैराना उपचुनाव: इस समाज के लोगों ने किया बहिष्कार का ऐलान, सभी दलों में मचा हड़कंप
राजेश पांडे के मुताबिक श्रीप्रकाश के ताबड़तोड़ अपराध सरकार और पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके थे। उसके खात्मे का प्लान तैयार करने के लिए लखनऊ सचिवालय में यूपी के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी की एक बैठक हुई। इस बैठक में अपराधियों से निपटने के लिए एक विशेष बल के गठन पर चर्चा हुई, जिसके परिणाम स्वरूप एसटीएफ का गठन हुआ।कैराना उपचुनाव में इस किराए के प्रत्य़ाशी के सहारे अपनी खोई हुई जमीन तलाशेगी रालोद
4 मई 1998 को हुआ था एसटीएफ का गठन4 मई 1998 को राज्य के तत्कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने यूपी पुलिस के बेहतरीन 50 जवानों को चयनित कर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) गठन किया। राजेश कुमार पांडे को भी इस टीम में जगह मिली। इस फोर्स का पहला टारगेट था माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला। जानकारी के मुताबिक श्रीप्रकाश शुक्ला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ली थी। इसलिए सरकार को उसके खात्मे के लिए एसटीएफ का गठन करना पड़ा।
जिम्मेदारी मिलते ही एसटीएफ ने अपना काम करना शुरू कर दिया। इसी दौरान खबर मिली कि श्रीप्रकाश शुक्ला दिल्ली में अपनी किसी गर्लफ्रेंड से मोबाइल पर बात करता है। एसटीएफ ने उसके मोबाइल को सर्विलांस पर ले लिया। श्री प्रकाश को शक हो गया। उसने मोबाइल की जगह पीसीओ सेंटर से बात करना शुरू कर दिया। लेकिन उसे यह नहीं पता था कि पुलिस ने उसकी गर्लफ्रेंड के नंबर को भी सर्विलांस पर ले रखा है। सर्विलांस से पता चला कि जिस पीसीओ से श्रीप्रकाश कॉल कर रहा है, वो गाजियाबाद के इंदिरापुरम एरिया में है। उस समय पहली बार मोबाइल सर्विलांस का इस्तेमाल किया गया।
फिर एक दिन 23 सितंबर 1998 को एसटीएफ के तत्कालीन प्रभारी अरुण कुमार को खबर मिलती है कि श्रीप्रकाश शुक्ला दिल्ली से गाजियाबाद की ओर आ रहा है। एसटीएफ की टीम ने तुरंत उसकी घराबंदी का प्लान बना लिया। जैसे ही शुक्ला की कार ने वसुंधरा एन्क्लेव पार किया, अरुण कुमार सहित एसटीएफ की टीम ने उसका पीछा शुरू कर दिया। उसकी कार जैसे ही इंदिरापुरम इलाके में दाखिल हुई, एसटीएफ की टीम ने अचानक श्रीप्रकाश की कार को ओवरटेक कर उसका रास्ता रोक दिया। पुलिस ने उससे सरेंडर करने के लिए कहा कि लेकिन उसने फायरिंग कर दी। एसटीएफ की जवाबी फायरिंग में श्रीप्रकाश शुक्ला मारा गया।