नितिन शर्मा, नोएडा। यूं तो गाजियाबाद से लेकर गौतमबुद्ध नगर तक जीटी रोड पर कई गांव बसे हैं, लेकिन इनमें एक गांव ऐसा भी है, जो इन सबसे अलग और खास है। इसका नाम है बादलपुर। गांव में घुसते ही लगने लगता है कि आप ऐसे गांव में आ गए हैं जो कहने को गांव है लेकिन सुविधा के सारे साधन यहां मौजूद मिलेंगे। साफ-सुथरी चौड़ी सड़कें दिखेंगी। सीमेंट की नालियां मिलेंगी। पार्क दिखेंगे। नए नवेले अस्पताल और स्कूल ध्यान खींचेंगे। गलियों की रास्ते भी सड़कों सरीखे चौड़े और कोलतार बिछे मिलेंगे। ये गांव बादलपुर है, खास इसलिए है क्योंकि ये उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती का पैतृक गांव है। हालांकि, अब यहां न तो वह रहती हैं और न ही उनके परिवार के लोग।
मायावती यहीं पैदा हुईं
बादलपुर में ही मायावती पैदा हुईं। यहीं उनका बचपन बीता। बाद में उनका परिवार दिल्ली में बस गया, क्योंकि पिताजी की नौकरी वहीं थी, लेकिन स्कूल के दिनों में छुट्टियों के दौरान भी उनका वहां आना जाना बदस्तूर जारी रहा। अब उनके पिता और परिवार के लोग दिल्ली में रहते हैं। हां, उनका और उनके पिता का गांव से गहरा जुड़ाव आज भी बरकरार है। ये बात चमचमाते बादलपुर को देखकर भी पता चल जाती है।
दो केयरटेकर करते हैं घर की देखभाल
बसपा सुप्रीमो मायावती का एक शानदार घर इस गांव में भी है। जो कुछ साल पहले ही बनवाया गया है। इसे घर नहीं बल्कि किला कहना चाहिए। एकदम सड़क से सटा हुआ। कर्इ हजार गज में बना हुआ। हालांकि इस घर में मायावती के परिवार का कोई सदस्य नहीं रहता। कई साल से कोई यहां नहीं आया। बस दो केयरटेकर इस घर की देखभाल करते हैं। घर के बिल्कुल बगल में सौ बीघे में बना हरा भरा पार्क और हेलीपेड। पार्क में बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ती लगी है। साथ ही फव्वारे और पत्थर से बनी जोरदार सीटें।
गांव में गेस्ट हाउस से लेकर पशुु चिकित्सालय
जीटी रोड पर स्थित तमाम गांवों में केवल बादलपुर ही एेसा गांव है, जहां पर शानदार सरकारी गेस्ट हाउस से लेकर पशु चिकित्सालय आैर बीज उपकेंद्र तक बना है। साथ-साथ बड़े पार्क, स्वास्थ्य केंद्र के अलावा पानी की सप्लार्इ के लिए घर घर तक पाइप लाइन फैली है। यहां रहने वाले इन सुविधाओं का भरपूर फायदा भी उठाते हैं।
वूमन पॉलीटैक्निक और कॉलेज भी
पहले बादलपुर में महज आठवीं तक का स्कूल था। फिर आगे की पढाई के लिए गांव से दूर जाना होता था। नतीजतन मजबूरी में गांव की लड़कियां पढ़ार्इ छोड़ देती थी। मायावती ने इसी समस्या को देखते हुए गांव में वूमन इंटर काॅलेज से लेकर, वूमन डिग्री काॅलेज आैर महिलाओं के लिए सरकारी पॉलिटैक्निक कॉलेज तक बनवा डाला। अब गांवों की लड़कियां यहां उच्च शिक्षा हासिल कर सकती हैं। उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ता बल्कि पासपड़ोस के कई गांवों की लड़कियां भी यहीं पढ़ने आती हैं। पॉलिटैक्निक कॉलेज में उम्दा हाॅस्टल भी है।
पहले मिलती थी 24 घंटे बिजली आैर पानी
गांव के लोग बताते हैं कि बसपा की सरकार के दौरान गांव में 24 घंटे बिजली आैर पानी की व्यवस्था रहती थी। अब बिजली पहले की तरह तो नहीं आती लेकिन तब भी 12 घंटे तो बिजली रहती ही है। बाकी व्यवस्थाएं भी सुचारू रूप से चल रही हैं। भला कौन सा ऐसा गांव होगा, जहां सरकारी अस्पताल हों और उसमें कई डॉक्टर भी तैनात हों, लेकिन यहां हैं।
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