दरअसल, फसल कटाई और पंचायत चुनाव के बाद अब कोरोना की दूसरी लहर के चलते सरकार द्वारा लगाए गए कोरोना कर्फ्यू के चलते ज्यादातर कर्मचारी व मजदूर अपने गांव लौट गए हैं। वहीं उद्योगपतियों का कहना है कि रॉ मेटेरियल के दामों में आए उछाल के कारण भी कई उद्योंग बंद हो गए हैं। पिछले साल टाटा व जिंदल कंपनियों की आयरन सीट 45 रुपये प्रति किलो मिलती थी लेकिन मंगलवार को इसका भाव 100 रुपये प्रतिकिलो से उपर पहुंच चुका है। जो पीतल पिछले साल 280 रुपये प्रति किलो था, वह अब 450 रुपये प्रतिकिलो हो गया है।
रियल एस्टेट कारोबार बर्बादी की कगार पर कोरोना की पहली लहर से जूझकर जैसे-तैसे खड़े होने की कोशिश कर रहा रियल एस्टेट कारोबार एक फिर दूसरी लहर में बर्बादी की कगार पर है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा में दर्जनों बिल्डर प्रोजेक्ट के लिए जहां ग्राहक नहीं मिल रहे हैं तो वहीं कोरोना के खौफ से मजदूर भी अपने गांव लौट गए हैं। जिसके चलते इन प्रोजेक्टों का काम भी रुक गया है।
चमड़ा व्यापार को 2 हजार करोड़ का नुकसान कोरोना की दूसरी लहर में चर्म उद्योग फिर चरमरा गया है। यूरोपीय देशों से मिले ऑर्डर माल तैयार करने और माल की आपूर्ति पर लगी रोक से एक महीने में चमड़ा उद्योेग को दो हजार करोड़ का झटका लगा है। कोरोना के चलते फ्रांस, जर्मनी, इंगलैंड, हॉलैंड, डेनमार्क, बेल्जियम, अमेरिका, आस्ट्रेलिया व अन्य यूरोपीय देशों ने आपूर्ति फिलहाल रोक दी है। जिसके कारण उद्योगों द्वारा तैयार किया गया माल अभी गोदामों में ही पड़ा हुआ है। पिछले वर्ष लगे लॉकडाउन से चर्म उद्योग को आठ हजार करोड़ का झटका लगा था।
ठप हुआ चूड़ी का व्यापार सुहागनगरी कहे जाने वाले फिरोजाबाद में का कांच व चूड़ी उद्योग भी दूसरी लहर की चपेट में है। यहां कांच कारखाने में बनने वाली कांच की बोतल, ग्लास सहित अन्य आइटमों का एक्सपोर्ट अमेरिका और यूरोपीय देशों में किया जाता है। जिसके प्रत्यक्ष रूप से सालाना 500 करोड़ तथा देश के अन्य शहरों से दो हजार करोड़ का कारोबार होता है। जानकारों का कहना है कि कोरोना की पहली व दूसरी लहर में कांच, चूड़ी व एक्सपोर्ट उद्योग को 1700 करोड़ से अधिक नुकसान हुआ है।
उद्योग क्षेत्रों में वैक्सीन कैंप लगाने की गुहार इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलमणि गुप्ता का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर ने देशभर में तबाही मचाई हुई है। हर कोई इससे जूझ रहा है। वहीं कोरोना कर्फ्यू और महामारी के कारण उद्योगों का बुरा हाल है। हर रोज करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार व प्रशासन को उद्योग क्षेत्रों में वैक्सीन कैंप लगाने की जरूरत है, जिससे वहां काम करने वाले कर्मचारियों को समय से कोरोन वैक्सीन लग सके।