गौतमबुद्धनगर जिले की स्थापना 9 जून 1997 को हुआ। यह जिला बुलंदशहर और गाजियाबाद के कुछ ग्रामीण और अर्द्धशहरी क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया था। उस समय प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती थी। मायावती का गांव भी इसी जिले में आता है। साल 2003 में प्रदेश में सपा की सरकार बनी। सरकार बनते ही मुलायम सिंह यादव ने इस जिले को भंग कर दिया। जनता इसके विरोध में मैदान में उतर आई। आंदोलन को बढ़ता देख सरकार बैकफुट पर गई और अपने फैसले को वापस ले लिया।
1952 में हुए पहली बार संसदीय चुनाव में गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट का नाम नहीं था। उस समय यह क्षेत्र बुलंदशहर लोकसभा सीट का हिस्सा था। 1962 में तीसरे लोकसभा चुनाव के दौरान खुर्जा लोकसभा सीट का गठन किया गया। इसके बाद इस क्षेत्र को खुर्जा में शामिल कर दिया गया। खुर्जा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी।
बीजेपी प्रत्याशी महेश शर्मा ने भरा पर्चा, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और नोएडा विधायक पंकज सिंह रहे मौजूद
बीएसपी के सुरेन्द्र सिंह नागर बने पहले सांसद2009 में पहली बार गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ। बहुजन समाज पार्टी के सुरेन्द्र सिंह नागर ने भारतीय जनता पार्टी के महेश शर्मा को हराकर यहां के पहले सांसद बने। वहीं, भाजपा प्रत्याशी महेश शर्मा दूसरे नंबर पर रहे, जबकि सपा के नरेंद्र भाटी तीसरे स्थान पर रहे।
गौतमबुद्ध नगर 1,442 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। गौतमबुद्ध नगर की 84 प्रतिशत आबादी हिंदू और 13 प्रतिशत मुस्लिम है। यहां पर करीब 23 लाख वोटर हैं। इनमें राजपूत वोटर 4.5 लाख, ब्राह्मण 4 लाख, मुस्लिम 3.5 लाख, गुर्जर 4 लाख, दलित 3.5 लाख और अन्य वोटर 3 लाख हैं।