दिवाली या दीपावली का महत्व Diwali / Deepawali ka mahatva
दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या की मनाई जाती है। इस दिन घर हो या बाहर सभी जगह दियों और मोम्मबत्तीयों से जगमग होते हैं। दीपावली एक ऐसा त्योहार हैं जो पांच दिनों तक चलता है। इसकी शुरूआत धनतेरस के साथ होती है। धनतेरस के दिन लोग चांदी या सोने का सामान या किसी बर्तन को खरीदने की परंपरा है। इसके अगले दिन छोटी दिवाली जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। कई लोग छोटी दिवाली के दिन महालक्ष्मी पूजन करते हैं। इसके अगले दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है और इसके अलगे दिन भाई दूज मनाया जाता है। इस तरह पांच दिनों का त्योहार पर सिर्फ देश में ही नहीं बल्की कई दूसरे देशों में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
दिवाली या दीपावली का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व
दिवाली या दीपावली का धार्मिक महत्व
माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा भगवान राम अपने चौदह वर्ष के वनवास को काट कर वापस लौटे थे। अपने श्रीराम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने खुशी में घी के दीपक जलाए। क्योंकि उस दिन कार्तीक मास की काली अमावस्या रात थी तो दीयों की रोशनी से पूरा अयोध्या जगमगा उठा। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं।