दरअसल, मेरठ मंडलायुक्त की अध्यक्षता में मंगलवार को उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के अधिकारियों संग बैठक की गई है। जिसमें विवाद को निपटाने के लिए हरियाणा-उत्तर प्रदेश की सीमा पर आने वाले गांवों में सीमा की पहचान के लिए सम-विषम नंबर के पिलर लगाने का फैसला लिया गया है (Demarcation)। इस दौरान मंडलायुक्त अनीता सी. मेश्रम ने कहा कि पिलरों की स्थापना का आधा खर्च उत्तर प्रदेश व आधा खर्च हरियाणा सरकार वहन करेगी। तीन प्रकार के पिलरों को सीमाओं पर लगाया जाएगा। इसमें सीमा पिलर, मुख्य पिलर व उप पिलर शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि हरियाणा में विषम और उत्तर प्रदेश में सम नंबर के पिलर लगाए जाएंगे। सीमा से लगे सभी गांवों की खतौनी बनवाने का काम जल्द ही पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। जिससे की सीमांकन के दौरान किसी तरह की समस्या न हो सके। उत्तर प्रदेश के पांच जिलों के 132 गांव व हरियाणा के छह जिलों के 102 गांव सीमा पर लगते हैं। जिन भी जिलों में नदी या भूमि विवाद है, उसे आपस में बैठकर कार्ययोजना बनाकर सुलझाया जाएगा। इसके लिए 10 जनवरी को चंडीगढ़ में बैठक होगी, जिसमें दीक्षित अवार्ड के विवरण का भी उपयोग किया जाएगा।
यह है विवाद जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री उमाशंकर दीक्षित ने वर्ष 1974-75 में यमुना नदी की गहरी धारा को हरियाणा और यूपी की स्थाई सीमा स्वीकार किया था। इसके लिए दोनों प्रदेशों की सीमा पर पिलर लगाए गए थे। हालांकि तेज बाढ़ और नदी के बहाव के कारण लगाए गए सभी पिलर नष्ट हो गए। जिसके बाद से अभी तक दोनों प्रदेशों की सीमा पर आने वाले गांवों के किसानों में आपस में जमीन को लेकर अक्सर विवाद रहता है। इसके लिए कई बार खूनी संघर्ष भी हो चुका है।
तीन तरह के लगेंगे पिलर मंडलायुक्त के अनुसार सीमाओं पर तीन तरह के पिलर लगाए जाएंगे। जिनमेंसीमा पिलर, मेन पिलर और सब पिलर शामिल है। सीमा पिलर और सब पिलर का आकार 9 इंच लंबा, 9 इंच चौडा और 4.5 इंच ऊंचा होगा। जबकि मेन पिलर का आकार 02 फीट लंबा, 02 फीट चौडा और 4.5 फीट ऊंचा होगा।
इन गांवों को लेकर रहता है विवाद हरियाणा की सीमा से लगने वाले उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के 34 गांव, शामली के 32 गांव, बागपत के 27 गांव, गौतमबुद्ध नगर के 32 गांव और अलीगढ़ के 07 गांवों का सीमा को लेकर विवाद है। वहीं हरियाणा के यूपी की सीमा से लगने वाले कुल 102 गांवों का विवाद है।