जुर्म की दुनिया में मुन्ना बजरंगी का पहला कदम
आंट में कटटा लगाकर चलने वाला मुन्ना कब बड़े हथियार लेकर मुन्ना बजरंगी बन गया। यह उसे भी नहीं पता चला।वह फिल्मों में दिखाए जाने वाले किरदारों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। यहीं वजह थी कि 17 साल की उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर थाना में उसके खिलाफ अवैध असलहा रखने का पहला मामला दर्ज हुआ। इसी के बाद इस फिल्मी विलेन ने कभी पलटकर नहीं देखा। और जरायम के दलदल में धंसता चला गया।
हत्या का भी बना इतिहास
कटटा आंट में रखकर चलने वाला मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए कब हत्यारा बना गया। भले ही यह किसी के लिए अंजान रहा हो, लेकिन उसके सिर पर जुर्म का बादशाह बनने का जूनून सवार था। और उसने जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल कर लिया। मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था। जिसके बाद उसके आधुनिक हथियार भी मिले और उसने 1984 में लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। खून का रंग देख उसका चहरा खिल जाता था। जिसके बाद वह जुर्म की दुनिया में आगे बढ़ता चला गया। और उसने अपनी नर्इ पहचान बनाने के लिए गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाना शुरू कर दिया था।
सूत्रों की माने तो इस राजनेता का मिला साथ
जानकारों की माने तो पूर्वांचल में अपने नाम का डंका बजाने के लिए मुन्ना बजरंगी को 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी का साथ मिल गया। मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा दिया और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद मुन्ना बजरंगी की ताकत में और इजाफा हो गया। जिसके बाद मुन्ना सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था।
बढ़ता गया ईनाम हो गया सात लाख का ईनामी
भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी. इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप है। वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा। पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था।