वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए नोएडा में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू है, लेकिन इसका कोई प्रभाव दिखाई नहीं पड़ रहा है। जिला प्रशासन की सख्ती के बावजूद सर्दी के कारण जगह-जगह कूड़ा जलाया जा रहा है। शुक्रवार को नोएडा-ग्रेटर नोएडा में सुबह के समय से ही स्मॉग की चादर देखी जा रही है। वातावरण में धुंध छाने से आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है। वहीं, सुबह के समय सड़कों पर भी विजिबिलिटी कम रही।
बता दें कि सेक्टर-16 (ए) की ग्रीन बेल्ट में 400 वर्गमीटर जमीन पर डीएनडी के पास एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर स्थापित किया गया था। टॉवर लगाने के बाद दावा किया गया था कि यह एक वर्ग किलोमीटर की परिधि में प्रदूषित वायु को शुद्ध करेगा। सर्दी बढ़ने के साथ सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (एसपीएम), सल्फर डाईआक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड एवं कार्बन मानो ऑक्साइड शहर को प्रदूषित कर रहे हैं। टॉवर इन प्रदूषित गैसों पर भी असरदार बताया गया था, लेकिन कुछ दिनों से सेक्टर-1 और आसपास के क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खराब कंडीशन में है। शुक्रवार सुबह 6:00 बजे यहां एक्यूआई 422 रिकॉर्ड किया गया।
पांच करोड़ की लागत से लगाया गया प्रोजेक्ट पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड़ ने सेक्टर-16ए फिल्म सिटी की ग्रीन बेल्ट में लगे एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर पर सवाल उठाए हैं। विक्रांत ने दावा किया है कि यहां पर हवा साफ नहीं हो रही है। चार पांच करोड़ रुपए खर्च करके नोएडा अथॉरिटी ने बीएचईएल ने सीएसआर यह प्रोजेक्ट लगाया है। टॉवर के संचालन में प्रतिवर्ष 37 लाख खर्च किया जा रहा है, लेकिन यह लोगों के के आंख में धूल झोंकने से कम नहीं है।
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Winter Vacation in School: अब 31 दिसंबर से 14 जनवरी तक स्कूलों में होगी सर्दियों की छुट्टी, कैलेंडर जारी कई देशों में अभी भी चल रहा है परीक्षण विक्रांत का कहना है कि उद्घाटन से पहले ही इस बारे में हम लोगों ने आवाज उठानी शुरू कर दी थी। क्वालिटी को सुधारने के लिए जो टावर लगाए जा रहे हैं, यहां पर कारगर नहीं हैं। दुनिया के कई देशों में इसका अभी परीक्षण चल रहा है। इस मामले में प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि इस टावर को बीएचईएल ने लगाया है। हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि से ट्रायल बेस पर चलाया जा रहा है।