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नोएडा

Supertech Twin Tower Case: अग्निशमन विभाग के छह अधिकारियों तक पहुंची जांच की आंच

अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने डीजी मुख्यालय फायर को भेजे पत्र में कहा है कि सुपरटेक एमराल्ड ट्विन्स टावर में अग्निशमन विभाग के अधिकारियों की भी अनियमितता मिली है।

नोएडाDec 15, 2021 / 02:11 pm

Nitish Pandey

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नोएडा. उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले के नोएडा के सेक्टर-93 ए में स्थित सुपरटेक एमराल्ड ट्विन्स टावर मामले में नोएडा प्राधिकरण के बाद दूसरे विभागों के अधिकारियों तक जांच की आंच पहुंचने लगी है। अपर मुख्य सचिव ने इस मामले में अग्निशमन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश दिए है। जिसकी जद में अग्निशमन विभाग के छह अधिकारी आ रहे हैं। जिनके सेवा काल में इस बिल्डिंग को एनओसी जारी कराने में अनियमितता बरती गई थी। अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद डीजी मुख्यालय ने जांच प्रारम्भ कर दी है।
एनओसी जारी करने में बरती गई अनियमितता

अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने डीजी मुख्यालय फायर को भेजे पत्र में कहा है कि सुपरटेक एमराल्ड ट्विन्स टावर में अग्निशमन विभाग के अधिकारियों की भी अनियमितता मिली है। उनके द्वारा इस बिल्डिंग को एनओसी जारी करने में अनियमितता बरती गई है। उन्होंने के डीजी फायर को 10 जुलाई 2004 से 31 जुलाई 2015 तक मेरठ और गौतमबुद्धनगर के मुख्य अग्निशमन अधिकारी के पद पर रहे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और उसकी रिपोर्ट शासन को भेजने के लिए कहा है।
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इन अधिकारियों तक पहुंची जांच की आंच

अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद डीजी मुख्यलय ने जांच प्रारम्भ कर दी है और 12 साल की अवधि के दौरान यहां पर तैनात रहे मुख्य अग्निशमन अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जिन छह अधिकारियों की जांच के आदेश दिए गए हैं उनमें आरपी सिंह त्यागी 10 जुलाई 2004 से 31 मई 2005 तक मेरठ में तैनात थे, अरुण चतुर्वेदी 16 जून 2005 से 17 जनवरी 2007 तक मेरठ में तैनात थे, आइएस सोनी 17 जनवरी 2007 से 7 अप्रैल 2012 तक मेरठ में तैनात थे, महावीर सिंह 26 फरवरी 2009 से 3 अप्रैल 2012 तक गौतमबुध नगर में तैनात थे, अमन शर्मा 4 अप्रैल 2012 से 15 दिसंबर 2012 तक गौतम बुध नगर में तैनात थे, मुनेश कुमार त्यागी 16 दिसंबर 2012 से 31 जुलाई 2015 तक गौतमबुध नगर में तैनात थे।
ये है मामला

नोएडा के सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक एमरॉल्ड प्रोजेक्ट में टावरों को सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध माना था। जिसके बाद 30 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने टावर को गिराने का आदेश दिया था। टावरों को 30 नवंबर तक गिराए जाने आदेश दिया था।
एसआईटी जांच में मिले थे 26 अधिकारी दोषी

सुपरटेक का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री ने जांच एसआईटी से कराने का आदेश दिया था। अवैध टावर बनाने की जांच में 26 से अधिकारी और सुपरटेक कंपनी के चार निदेशक जिम्मेदार मिले। उनमें से दो प्राधिकरण के अधिकारियों की मौत हो चुकी है। एसआईटी जांच के आधार पर प्राधिकरण के नियोजन विभाग की ओर से विजलेन्स लखनऊ में मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। शासन तीन अधिकारियों और कर्मियों को निलंबित कर चुका है।

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