scriptनोएडा के 25 हजार से ज्यादा लोगों ने नहीं चुकाया बैंकों का 3500 करोड़ का कर्ज | 25141 debtors owe bad loans of over 3500 crore to GB Nagar banks | Patrika News
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नोएडा के 25 हजार से ज्यादा लोगों ने नहीं चुकाया बैंकों का 3500 करोड़ का कर्ज

Highlights
– गौतमबुद्ध नगर जिले के बैंकों ने 3,549 करोड़ रुपए के बकाया ऋण को एनपीए घोषित किया
– कर्ज नहीं चुकाने वालाें में अधिकतर खाते सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों के
– बैंक नोटिस के बाद शुरू करेंगे ऋण वसूली की कानूनी प्रक्रिया

नोएडाDec 14, 2020 / 02:15 pm

lokesh verma

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नोएडा. गौतमबुद्ध नगर जिले के बैंकों ने 3,549 करोड़ रुपए के बकाया ऋण को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया है। अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 25141 ऐसे ऋण खाते थे, जो कई महीनों से बैंकों का ऋण नहीं चुका रहे थे। अब इन्हें एनपीए घोषित कर दिया गया था। इनमें अधिकांश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों के खाते थे। इतना ही नहीं, जमा और अग्रिम के बीच उचित संतुलन नहीं होने के कारण जिले में बैंकों का क्रेडिट-डेबिट अनुपात (सीडीआर) 56.15 प्रतिशत हो गया है, जो 60 प्रतिशत के ‘स्वस्थ’ सीडीआर से कम है।
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गौतमबुद्धनगर के जिले के अग्रणी बैंक प्रबंधक (एलबीएम) वेद रत्न ने बताया कि एनपीए की वसूली बैंकों के लिए कभी आसान कार्य नहीं होता है, क्योंकि इनमें से अधिकांश ऋण बाद के चरण में मुकदमेबाजी के अंतर्गत आते हैं। वेद रत्न का कहना है कि बैंकों ने इन ‘खराब’ ऋणों की वसूली प्रक्रिया शुरू कर दी है। सबसे पहले, वह इन डिफ़ॉल्ट ऋणों की वसूली न्यायिक प्रक्रिया शुरू करेंगे, जिसके तहत बैंक देनदारों को नोटिस जारी करेंगे और उन्हें तीन महीने में बकाया भुगतान के लिए कहेंगे। यदि उधारकर्ता सहकारी है, तो बैंकों से ली गई उनकी संपत्ति निजी बातचीत या नीलामी द्वारा बेची जाएगी। यदि वे सहयोग नहीं करेंगे तो बैंक वसूली के लिए कानूनी रास्ता अपनाएंगे और अदालतों के आदेशों से कानूनी प्रक्रिया के तहत ऋण की वसूली की जाएगी।
इसलिए नीचे गया सीडीआर

बैंकों के सीडीआर के बारे में वेद रत्न ने बताया कि जिले के विभिन्न बैंकों में 1,08,474 करोड़ रुपए जमा दर्ज है। जबकि ग्राहकों को दिया गया कर्ज 60,926 करोड़ हो गया है। यह मुख्य रूप से सरकारी खातों में भारी जमा के कारण है, जो जमा और वित्त के बीच असंतुलन का कारण बना है। उन्होंने बताया कि सरकार ने अपने बैंक खातों में 4,000 करोड़ से अधिक के भारी धनराशि जमा की है, ताकि जेवर हवाई अड्डे और स्मार्ट सिटी जैसी कई आगामी परियोजनाएं जल्द ही आएंगी। दूसरी ओर हमारे यहां उतने उद्यमी नहीं हैं, जो बैंकों से धन चाहते हैं। इसका ही नतीजा है कि सीडीआर नीचे चला गया है।

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