बता दें कि विद्युत निगम में बिल का भुगतान नकदी, चेक और डिमांड ड्रॉफ्ट (डीडी) के माध्यम से होता है। इलेक्ट्रिसिटी कंज्यूमर्स ऑनलाइन भी बिल का भुगतान करते हैं। बिजली विभाग के अधिकारियों के अनुसार, निजी एजेंसी के माध्यम से सेक्टर-50 स्थित नामी निजी बैंक में सभी चेक और डीडी जमा किए जाते हैं। इनकी नियमित रिसिविंग भी ली जाती है। पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, जालसाजी करने वाले लोगों ने बुलंदशहर के देहात क्षेत्र के सरकारी बैंक शाखा में पावर कॉरपोरेशन के नाम ईयूडीडी (विद्युत वितरण नगरीय खंड) से ही मिलता-जुलता फर्जी खाता खुलवाया था। बैंक और विद्युत निगम के कुछ कर्मियों की मिलीभगत से कुछ डीडी बुलंदशहर के सरकारी बैंक के फर्जी खाते में जमा कर दिया जाते थे। फिर उस खाते से सभी पैसे को तत्काल निकाल लिया जाता था। अभी उस खाते में मात्र बीस हजार रुपये हैं और खाते को सीज कर दिया गया है।
जांच के अनुसार, सबसे ज्यादा गबन सेक्टर-18 अधिशासी अभियंता द्वितीय के कार्यालय से हुआ है। आशंका है कि विभाग के कुछ उच्चाधिकारी भी इसमें शामिल हो सकते हैं। मामले की शिकायत मिलते ही एसीपी विमल कुमार सिंह ने जांच भी शुरू कर दी है। बिजली अधिकारियों के अनुसार विभाग के पचास से अधिक डीडी को फर्जी बैंक खाते में जमा करके रुपये निकाले गए हैं। इसमें सबसे ज्याद रुपये उद्यमियों के बिल के हैं। ऐसे में उन उद्यमियों की परेशानी बढ़ गई है। उद्यमियों पर विभाग का बिल बकाया भी आ रहा है।