नई दिल्ली/नोएडा।
देश के प्रमुख हिंदूवादी संगठन विश्व हिन्दू परिषद का कहना है कि गौरक्षा
विवाद को दलितों के उत्पीड़न से जोड़ने के पीछे दलित समाज को हिंदुत्व से
तोड़ने की साजिश काम कर रही है। संगठन का मानना है कि दलित समाज के अनेक
युवा स्वयं गौरक्षा के कार्य में जुड़े हुए हैं।
विहिप के
अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण भाई तोगड़िया ने दिल्ली में कहा कि गौरक्षा
विवाद और दलितों के उत्पीड़न, दो अलग-अलग मुद्दों को एक साथ जोड़कर दिखाने की
कोशिश की जा रही है। इससे यह सन्देश जा रहा है कि सभी गोरक्षक लोग दलितों
के खिलाफ हैं, जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है।
उन्होंने कहा कि
पूरे देश में दलित उत्पीड़न के पचीस हजार से भी अधिक मामले दर्ज किये गए हैं
और इनमें से दो-चार मामले ही दलितों के उत्पीड़न से जुड़े हुए हैं। इससे यह
साबित होता है कि दलित उत्पीड़न और गौरक्षा विवाद का आपस में कोई सम्बन्ध
नहीं है।
विहिप ने लड़ी दलितों की लड़ाई
प्रवीण तोगड़िया
ने कहा कि विहिप दलितों को भी अन्य सभी वर्गों की तरह हिन्दू समाज का एक
अविभाज्य अंग मानता है और वह दलितों के मान-सम्मान को सुनिश्चित करने के
लिए पूरी तरह कृत संकल्पित है। उन्होंने स्वीकार किया कि अनेक दलित युवक
गौरक्षा के कार्य में लगे हुए हैं इसलिए इस तरह का भ्रम नहीं फैलाया जाना
चाहिए कि सभी गौरक्षक दलितों के खिलाफ हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के एक गांव में एक दलित नाबालिग बच्ची के
साथ जब सामूहिक दुराचार हुआ था, तब उसके खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए वे
खुद गए थे। उन्होंने कहा कि ऐसे एक नहीं, अनेक उदाहरण हैं जहां गौसेवकों ने
अनुसूचित जाति जनजाति समाज के लोगों के सम्मान की लड़ाई लड़ी है। लेकिन उसे
लोगों के सामने पेश करने की बजाय इस तरह का भ्रामक प्रचार किया जा रहा है
जैसे सभी गौरक्षक दलितों के खिलाफ खड़े हो गए हों।
मृत गाय की खाल उतारना बिल्कुल सही
क्या
मृत गाय की खाल उतारने का काम करने वाले दलित युवकों की पिटाई उचित है, इस
सवाल पर तोगड़िया ने कहा कि हिन्दू समाज की व्यवस्था में प्राकृतिक रूप से
मृत हुई गाय की खाल उतारना एक पेशे के रूप में पूरी तरह स्वीकार्य है।
उन्होंने देश के सभी गौरक्षकों से इस बात की अपील भी की कि वे स्वाभाविक
रूप से मृत गोवंश की खाल उतारने वालों को परेशान न होने दें।
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