8 से 10 साल बाद ही पुल क्षतिग्रस्त याचिकाकर्ता अधिवक्ता तिवारी ने उच्च न्यायालय को बताया कि बाणसागर डैम से प्रभावित लोगों का सहज संपर्क स्थापित करने छोटी महानदी पर एक पुल बनाया गया था। यह पुल मैहर, कटनी, उमरिया, शहडोल और जबलपुर जैसे कई जिलों को जोड़ता है। इन जिलों के लिए एक जीवन रेखा के रूप में काम करता था, लेकिन पुल निर्माण गुणवत्ताहीन होने के कारण 8 से 10 साल बाद ही पुल क्षतिग्रस्त हो गया। इस वजह से इसमें यातायात खतरनाक हो गया था। हालातों को देखते हुए कटनी कलेक्टर ने दिसंबर 2022 में क्षति के हालात और सुरक्षा जोखिम को देखते हुए पुल को सार्वजनिक उपयोग के लिए बंद कर दिया।
लोगों को लगाना पड़ रहा चक्कर याचिकाकर्ता ने बताया कि इस पुल के दोनों और रहने वाले निवासियों को अब सीधे संपर्क के लिए लगभग 40 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है। पुल के दोनों ओर मैहर और कटनी के निवासी जिनके संपर्क का एकमात्र सीधा रास्ता था वह अब बंद हो गया है। जिससे लोगों की स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आवश्यक सेवाओं तक पहुंच सीमित हो गई है और गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रह है। उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
विधानसभा से भी नहीं मिला हल याचिका में यह भी बताया गया है कि इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए विधआनसभा में सवाल उठाया गया था। तत्कालीन मंत्री ने यह जवाब दिया था कि पुल की मरम्मत के लिए एक निविदा प्रकाशित की गई है। लेकिन इसके लिए किसी समय सीमा का उल्लेख नहीं किया गया था। हालांकि, निविदा प्रक्रिया से कोई फलदायी परिणाम नहीं निकला, जिससे जनता को कोई राहत नहीं मिल सकी है।
दो सप्ताह में जवाब तलब जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय जबलपुर के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की डिविजनल बेंच ने प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने कहा है। याचिकाकर्ता का पक्ष एडवोकेट हिमांशु मिश्रा द्वारा प्रस्तुत किया गया।