स्टेज बनकर तैयार
गणेश प्रतिमा स्थापना के लिए सार्वजनिक समितियों द्वारा पंडाल व स्टेज तैयार कर लिया गया। रंग-बिरंगी लाईटिंग से सजावट की गई है। वहीं गणेश समिति पदाधिकारीगण अंतिम समय में भी गणेशोत्सव के लिए चंदा एकत्रित करते नजर आ रहे हैं। इधर 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को लेकर पुलिस प्रशासन ने भी व्यापक व्यवस्था बनाई है। थानों में समितियों के पदाधिकारियों के साथ बैठकर कर व्यवस्थाएं बनाई जा रही है।
जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में भगवान गणेश की मूर्ति जगह-जगह स्थापित की जाएगी। इसमें प्रमुख रूप से राजघाट चौक, सराफा बाजार, विध्नवासिनी समिति, त्रिपुर सुंदरी गणेश समिति भटेरा चौकी, चटपटी गणेश, झांसी रानी चौक, मोतीनगर चौक, बूढ़ी, सरेखा, बैहर के अलावा सरेखा कोसमी, नवेगांव, भटेरा, कुम्हारी रोड सहित अन्य स्थानों में गणेश प्रतिमाएं स्थापित कर 10 दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
हिन्दू पंचांग के अनुसार 07 सितंबर को चतुर्थी तिथि सूर्योदय के समय रहेगी, जो पूरे दिन और रात भर मान्य होती है। अत: 10 दिवसीय गणेशोत्सव के लिए श्रीगणेश जी की स्थापना कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्य प्रो. डॉ अरविंद चन्द्र तिवारी के अनुसार 19 सितंबर को भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष, श्री गणेश चतुर्थी को श्रीगणेशजी को घर लाने और उनकी स्थापना का मुहूर्त सुबह सर्वश्रेष्ठ है। रात्रि में श्रीगणेशजी की स्थापना सायंकाल के समय चौघडिय़ा में श्रेष्ठ है। लगभग सभी पंचांग और पंचांग कैलेंडर के अनुसार श्री गणेश जी की स्थापना हेतु 07 सितंबर को ही मूहूर्त दिए गए हैं।
पंडित अरविंद चंद तिवारी के अनुसार मिट्टी के गणेश किस रूप में बनाएं और कौन सा रूप घर, दुकान, ऑफिस और फैक्ट्रियों के लिए शुभ है, इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए। सिद्धि विनायक रूप की मूर्ति घर में स्थापित करनी चाहिए। विघ्नेश्वर गणेश ऑफिस और दुकानों के लिए और महागणपति की स्थापना कारखानों के लिए शुभ है।