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किसी को पैर से चला नहीं जाता, किसी को खड़े होने में दिक्कत, फिर भी बैठने की जगह तक नहीं

– ये कैसा चिकित्सा प्रशासन झालावाड़. जिले के सबसे बड़े एसआरजी चिकित्सालय व मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी विभाग तो खोल दिया गया है, लेकिन आधे-अधूरे संसाधन के बीच मरीजों को घंटे खड़े रहना पड़ रहा है। वो भी तब जब किसी को पैर से चला नहीं जाता है, किसी को खड़े होने में दिक्कत […]

झालावाड़Oct 10, 2024 / 01:45 pm

harisingh gurjar

– ये कैसा चिकित्सा प्रशासन

झालावाड़. जिले के सबसे बड़े एसआरजी चिकित्सालय व मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी विभाग तो खोल दिया गया है, लेकिन आधे-अधूरे संसाधन के बीच मरीजों को घंटे खड़े रहना पड़ रहा है। वो भी तब जब किसी को पैर से चला नहीं जाता है, किसी को खड़े होने में दिक्कत है तो कोई लकवा ग्रसित है। इन दिनों सिर दर्द,किसी के नस दंबी होने व कमर दर्द सहित कई तरह के न्यूरो संबंधी बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं। इन सब के बावजूद न्यूरो विभाग में न पर्याप्त जगह है न संसाधन। खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। एसआरजी चिकित्सालय में न्यूरों विभाग में बुधवार व शुक्रवार दो ही दिन ओपीडी होती है, ऐसे में जगह कम होने से पैर रखने तक की जगह नहीं होती है। एक दिन में ढ़ाई से तीन सौ मरीज आते हैं। जिनमें से कई गंभीर मरीज होने के बाद भी उन्हे घंटो खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। पत्रिका टीम ने बुधवार को मौके पर जाकर पड़ताल की तो कई मरीज तपाक से बोले की दो से ढ़ाई घंटा खड़े रहना पड़ रहा है, चिकित्सा प्रशासन को कम से बैठने की व्यवस्था तो करनी चाहिए।
इतने मरीज आते हैं एक दिन में-

एसआरजी चिकित्सालय के ब्लड बैंक के पास ही न्यूरो विभाग की ओपीडी है, जहां शुक्रवार व बुधवार को ही मरीज देखे जाते हैं। एक दिन में करीब तीन सौ मरीज आते हैं। मरीजों की कतार इतनी लंबी होती है कि एक तरफ पुरूष व दूसरी तरफ महिलाएं खड़ी रहती है। डॉक्टर के कक्ष में व बाहर पैर रखने तक की जगह नहीं रहती है। वहीं जिस कमरे में डॉक्टर मरीजों को देखते हुए नजर आए वह भी बहुत छोटा है।
बड़ा कक्ष-

पत्रिका टीम ने जब मरीजों से बात की तो कई मरीजों ने कहा कि यहां बैठने की जगह नहीं है, पास में एक बड़ा रूम है, जिस पर हमेशा ताला लगा रहता है। वो मरीजों को देखने के लिए दिया जाएं तो वहां आसानी से मरीज बैठ सकते हैं व डॉक्टर आसानी से देख पाएंगे।
ऐसे बताई मरीजों ने अपनी पीड़ा-

01. मेरा डेढ़ साल से न्यूरो के डॉक्टर का इलाज चल रहा है। रायपुर के पास रावल गांव से आई हूं। सुबह दस बजे से बैठी हूं। दो घंटे हो गए है।यहां ओर डॉक्टर लगाए जाने चाहिए।
बादाम बाई, मरीज रावल

02. सिर में दर्द रहता है, भीड़ अधिक होने से जाने नहीं दे रहे हैं, खड़े-खड़े दो घंटे हो गए है। कम से कम बैठने की सुविधा तो होनी चाहिए।
छोटी बाई, रामगंज मंडी।

03.मेरे एक पैर में खिंचाव है, चलने में दिक्कत है, सुबह 11 बजे से लाइन में लगी हुई हूं। अभी तक नंबर नहीं आया है। सरकार को यहां और डॉक्टर लगाने चाहिए।
सुमित्रा नूरजी गाडरवाड़ा।

04.पैर की एक नस दबी हुई है, इससे चलने में दिक्कत हो रही है। एक घंटा हो गया है, अभी तक नंबर नहीं आया है।

मिनीक्षा रामगंजमंडी।
04.मुझे घंटाभर हो गया है। यहां एसआरजी में न्यूरो विभाग में दिखाने आया था। लेकिन अभी तक नंबर नहीं आया है। सुबह से भीड़ लगी हुई है। बैठने की सुविधा करनी चाहिए

। जुगलसिंह मरीज, झालावाड़
05.मैं सुबह दस बजे से बैठा हुआ हूं, दो की जगह यहां तीन डॉक्टर बिठाना चाहिए, ताकि ऐसी दिक्कत नहीं आएं।

आफताब आलम, झालरापाटन।

अवगत करा रखा है-

एसआरजी में कमर दर्द, लकवा, हैडेक सहित न्यूरो संबंधी कई मरीज आते हैं। शुक्रवार व बुधवार को ही ओपीडी होती है, लेकिन हमारे पास स्पेस की कमी है, इसलिए भीड़ नजर आती है। बैठने के लिए बैंच व अन्य संसाधनों के लिए अधीक्षक व डीन को लैटर लिखा हुआ है।
डॉ.राम सेवक योगी, विभागाध्यक्ष, न्यूरो सर्जरी विभाग।

कमरा है खुलवा देंगे-

पास में 266 नंबर का कमरा है उसे न्यूरो सर्जरी के लिए खुलवा देंगे ताकि वहां मरीज बैठ सके। उपकरण व अन्य संसाधन के लिए उच्चाधिकारियों को डिमांड भेज रखी है।
डॉ.अशोक शर्मा, अधीक्षक, एसआरजी चिकित्सालय, झालावाड़

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