जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल परिसर में जिले का एकमात्र ब्लड बैंक स्थित है। जिला अस्पताल में आसपास के जिले उमरिया व पन्ना से भी मरीज उपचार के लिए पहुंचते है। जिले की सीमा से लगे गांवों से गर्भवती महिलाओं को यहां लाकर भर्ती कराया जाता है। प्रसव के बाद खून की कमी के चलते ब्लड बैंक से ही ब्लड उपलब्ध कराया जाता है।
ए पॉजिटिव 03
ए निगेटिव 00
बी पॉजिटिव 06
बी निगेटिव 02
ओ पॉजिटिव 00
ओ निगेटिव 01
एबी पॉजिटिव 00
एबी निगेटिव 00 चार गु्रप का ब्लड स्टॉक में ही नहीं
ब्लड बैंक के टेक्नीशियन ने बताया कि वर्तमान में सिर्फ 12 यूनिट ब्लड ही शेष बचा है। जबकि बैंक की क्षमता 300 यूनिट तक ब्लड स्टोरेज करने की है। ए निगेटिव, ओ पॉजिटिव, एबी पॉजिटिव व एबी निगेटिव ब्लड स्टॉक में नहीं है। इसके अलावा ए पॉजिटिव 3, बी पॉजिटिव 6, बी निगेटिव 2 व ओ निगेटिव सिर्फ 1 यूनिट बचा हुआ है।
ब्लड बैंक में ब्लड की कमी का कारण यह भी होता है कि कुछ पेशेंट्स ऐसे होते हैं, जिनके पास डोनर नहीं होते। ऐसे में उन्हें बिना डोनर से डोनेट कराए ही ब्लड देना होता है। यह समस्या एचआईवी पीडि़त, पे्रग्नेंट महिला, थैलेसीमिया मरीज के साथ आती है, जिनके पास कोई ब्लड डोनेट करने वाला नहीं होता, किंतु उन्हें ब्लड लेना होता है। ऐसी स्थिति में ब्लड की कमी हो जाती है। अगर कोई रेयर गु्रप का मरीज होता है तो उसे ब्लड मिलना भी मुश्किल हो जाता है।
ग्रामीण इलाकों में रक्तदान को लेकर अलग सोच बन गई है। वहां के लोगों का कहना है कि रक्तदान से कमजोरी आती है तथा अन्य समस्याएं भी सामने आती हैं। इसकी वजह से वे ब्लड डोनेट करने से बचते हैं। अगर कोई ब्लड डोनेट करता है तो उसे भी रोकते हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर शिविर भी लगाए जाते हैं। उसके बावजूद जागरूकता नहीं आ पा रही।
पे्रग्नेंट महिला व थैलेसीमिया मरीज को बिना डोनर ब्लड उपलब्ध कराया जाता है। कोई ब्लड का ग्रुप नहीं होता तो मरीज के परिवार के सदस्यों को मोटिवेट करने का प्रयास करते हैं और अगर वो नहीं मानते हैं तो किसी वॉलेंटियर या फिर गु्रप से संपर्क कर रक्त की उपलब्धता करवाई जाती है।
डॉ. मोहित श्रीवास्तव, ब्लड बैंक प्रभारी, जिला अस्पताल