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हैरानी: एसएनसीयू में एक साल में १५३ नवजातों ने तोड़ा दम, डॉक्टर्स नहीं बचा पाए जान

-प्रबंधन का कहना एसएनसीयू में विशेषज्ञ के चार में से तीन पद खाली।
-कई मामलों में परिजनों ने लगाए इलाज में लापरवाही के आरोप, प्रबंधन की कार्रवाई नोटिस तक सिमटी

दमोहJan 19, 2025 / 08:23 pm

आकाश तिवारी

दमोह. जिला अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है। इधर, मौत पर हंगामे भी बढ़ रहे हैं। पत्रिका ने इस मुद्दे पर छानबीन की, जहां एक साल में हुई मौतों के आंकड़े जुटाए। यहां मालूम चला कि २०२४ में एसएनसीयू के अंदर १५३ नवजात शिशुओं की मौतें हुई हैं। खासबात यह है कि जिला अस्पताल में हुए प्रसवों में जन्में ८६६ नवजातों में ७९ ने दम तोड़ा है। जबकि रेफर होकर आए १२५३ नवजात शिशुओं में से ७४ की जान डॉक्टर्स नहीं बचा पाए हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो एसएनसीयू में हर महीने ५ से ९ शिशुओं की मौतें हो रही हैं।
इधर, मौतों के अधिकांश मामलों में परिजनों ने इलाज में लापरवाही के आरोप लगाए गए हैं। कुछ मामलों में प्रबंधन ने संबंधित डॉक्टर्स और नर्सिंग ऑफिसर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, पर कार्रवाई नोटिस तक सीमित नजर आ रही है।
-इन दो मामलों पर एक नजर
केस-१
२३ दिसंबर को गोमती पत्नी इमरत पटेल के नवजात शिशु की मौत हुई थी। इस मामले में प्रबंधन ने ९ लोगों को नोटिस जारी किया था। तीन दिन के अंदर जवाब मांगा था, लेकिन अभी तक संबंधितों ने नोटिस के जवाब नहीं दिए हैं।
केस-२
पिछले साल अपे्रल में चार प्रसताओं की मौत हुई थी। मामला शासन स्तर तक पहुंचा था। जांचे हुई और दवाओं के संबंध में पड़ताल की गई। पर इस मामले में किसी भी डॉक्टर्स, ओटी इंचार्ज के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई।
-ऑपरेशन न करना पड़े इसलिए करा रहे प्रसव में देरी
सूत्रों की माने तो अस्पताल में प्रसूताओं की नॉर्मल डिलेवरी पर फोकस किया जा रहा है। ऑपरेशन करने से बचने के लिए स्टाफ बेवजह प्रसव में देरी कर रहा है। अब तक हुई मौतों के कुछ मामलों में इस तरह की लापरवाही से नवजात शिशुओं की मौत होना बताई जा रही है। क्षेत्रीय संचालक स्तर पर इस तरह के मामलों की जांच भी कराई जा रही है।
-रेफर शिशुओं का भी बढ़ रहा दबाव
आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल १२९३ नवजात शिशु रेफर होकर आए थे, जिन्हें एसएनसीयू में भर्ती किया गया था। जबकि अस्पताल में जन्में ८६६ बच्चे भर्ती हुए थे। स्वास्थ्य विभाग इस रेश्यों को अच्छा मानता है। रेफर होकर आने वाले नवजात शिशुओं की संख्या यदि अस्पताल में जन्में शिशुओं से ज्यादा होती है, तो एसएनसीयू को बेहतर माना जाता है।
-३९ नवजात शिशुओं का नहीं रिकार्ड
एसएनसीयू में भर्ती हो रहे नवजात शिशुओं के मामले में एक बात और सामने आई है। वह यह कि पिछले साल भर्ती ३९ नवजात ऐसे थे, जिनके परिजन बगैर सूचना दिए नवजात शिशुओं को अस्पताल से ले गए। प्रबंधन के पास इन बच्चों के संबंध में कोई जानकारी नहीं हैं।
फैक्ट फाइल

२१२० कुल भर्ती
८६६ अस्पताल में पैदा हुए नवजात
१२५३ रेफर होकर आए नवजात
७९ अस्पताल में जन्में शिशुओं की मौत
७४ निजी व सरकारी संस्थानों से आए नवजातों की मौत
३९ बिना सूचना परिजन नवजात शिशुओं को ले गए घर
वर्शन
एसएनसीयू में चार डॉक्टर्स की पोस्ट है, पर एक मात्र डॉक्टर यहां तैनात है। फिर भी हमारा प्रयास रहता है कि प्रत्येक नवजात की बेहतर से बेहतर केयर हो सके।

डॉ. राकेश राय, सिविल सर्जन दमोह

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