रक्ततलाई में सुबह 8 बजे पंचायत समिति प्रशासन, युवा मंडलों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने तंवरों की छतरियों, झाला मान, हाकीम खां सूर की समाधियों, पंचायत समिति परिसर, बस स्टेंड स्थित प्रताप तिराहे पर पुष्पांजलि अर्पित की। विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ ने हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप स्मारक एवं चेतक समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। महाराणा प्रताप संग्रहालय में संस्थापक डॉ. मोहनलाल श्रीमाली, निदेशक डॉ. भूपेंद्र श्रीमाली सहित पर्यटकों ने प्रताप प्रतिमा पर पुष्पांजलि की। सुबह 9 बजे श्रीनाथ बैंड की अगुवाई में शाही अंदाज में शोभायात्रा रवाना हुई। शोभायात्रा मुख्य मागोZं से होते हुए बस स्टैंड पहुंची। प्रताप तिराहे पर आतिशबाजी की गई। जैन समाज की ओर से भामाशाह के रूप में प्रताप को धन सौंपने की रस्म अदा की। लोगों ने जगह-जगह शोभायात्रा पर पुष्प बरसाए। शर्बत और जलपान कराया। शोभायात्रा के शाहीबाग मेला स्थल पहुंचने पर 11 बजे मेला उद्घाटन समारोह शुरू हुआ। जय हल्दीघाटी नवयुवक मंडल अध्यक्ष गोपेश माली ने प्रताप सेना का परिचय करवाया। मचींद से आए आदिवासी बंधुओं ने रज कलश विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ को दिया। विधायक ने मेला ध्वज फहराया और उद्घाटन की घोषणा की।
समारोह में प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी, महेशप्रतापसिंह, प्रधान भैरूलाल वीरवाल, तहसीलदार चंदा कुंवर गुहिल, उपप्रधान वैभवराजसिंह चौहान, जिपसकूकसिंह गौड़, पंसस तनसुख सोनी, कोठारिया मंडल अध्यक्ष हरदयालसिंह, खमनोर अध्यक्ष संदीप श्रीमाली, महिला मोर्चा अध्यक्ष कोमल सोनी सहित कई गणमान्य लोग मंचासीन थे। संचालन संदीप मांडोत ने किया। समारोह के दौरान ही प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक की याद में अश्व नृत्य प्रतियोगिता की गई, जिसमें बलीचा के लक्ष्मणसिंह का घोड़ा वीआईपी ठाकुर प्रथम, फतेहपुर के देवीलाल का घोड़ा किंग द्वितीय व झालों की मदार के रघुवीरसिंह का घोड़ा रूपल तृतीय रहा। इस दौरान नाथद्वारा विधायक एवं महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराजसिंह मेवाड़ ने कहा कि महाराणा प्रताप के गुणों को हम अपने जीवन में उतारने की कोशिश करनी चाहिए। प्रदेश सरकार में जनजाति क्षेत्रीय विकास एवं गृह विभाग के कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने बप्पा रावल, राणा सांगा, राणा कुंभा, गोरा-बादल, झाला मान, रानी पद्मिनी, हाड़ी रानी सहित वीर-वीरांगनाओं के शौर्य और बलिदान को याद किया। खराड़ी ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि प्रताप ने अधीनता नहीं स्वीकारी। चेतक का बलिदान भी भुलाया नहीं जा सकता।