– शहर के आसपास भी बसाहट
तेंदुओं की संख्या का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सागर शहर के आसपास लगे जंगल में ही इनकी बसाहट के प्रमाण मिले हैं। करीब एक माह पहले केंद्रीय विश्वविद्यालय के पीछे लगे जंगल व पथरिया जाट गांव के पास खेतों में तेंदुआ के पगमार्ग मिले थे। जिसके बाद वन विभाग ने अलर्ट जारी किया था। यह पहली बार नहीं था जब शहर के आसपास तेंदुआ देखा गया हो, इसके पहले भी विश्वविद्यालय के जंगल में तेंदुआ नजर आया है।
– जहां टाइगर वहां नहीं रुकते तेंदुआ
तेंदुआ और टाइगर दोनों ही जंगल में रहते हैं, लेकिन जिस जगह टाइगर की बसाहट हो जाए वहां तेंदुआ आसपास भी नहीं भटकता। वन विभाग के जानकारों का कहना है कि जिस तरह तेंदुआ कुत्तों को अपना शिकार बनाता है उसी तरह टाइगर तेंदुआ को। यही कारण है कि तेंदुओं को यह डर रहता है कि जिस क्षेत्र में टाइगर हैं वहां वे सुरक्षित नहीं है।
– टेरेटरी नहीं बनाते तेंदुआ
उत्तर वन मंडल के उप वनमंडल अधिकारी हेमंत यादव ने बताया कि तेंदुआ भले ही बिल्ली की प्रजाति का है, लेकिन वह टाइगर की तरह अपनी टेरेटरी नहीं बनाते। टाइगर पेड़ों, पत्थरों पर पेशाब कर या उनपर नाखून से निशान छोड़कर अपनी टेरेटरी निश्चित करते हैं, लेकिन तेंदुआ अपनी पहचान छोडऩे के लिए ऐसा कुछ नहीं करते।
– पिछले एक साल में 10 से ज्यादा तेंदुआ मरे
पिछले एक साल की बात करें तो सागर जिले में 10 से ज्यादा तेंदुओं की मौत हुई है। कुछ समय पहले दक्षिण वन मंडल में आने वाले चौरा डोंगरी गांव में तेंदुए का शिकार भी हुआ था, जिसमें वन विभाग ने आरोपी पकड़े थे। इसके अलावा टाइगर रिजर्व के साथ दक्षिण व उत्तर वन मंडल में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें कहीं तेंदुआ की सड़क पार करते हुए वाहन की टक्कर से मौत हुई तो वहीं किसानों के सूअर पकडऩे लगाए फंदे में फंसकर। हैरानी की बात यह है कि आज तक तेंदुओं के संरक्षण को लेकर कोई खास प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। यदि यही स्थिति रही तो मप्र से तेंदुआ स्टेट का यह तमगा छिनने में समय नहीं लगेगा।
– फैक्ट फाइल
14 हजार तेंदुए देश में 3907 तेंदुआ मप्र में 180 से ज्यादा तेंदुआ सागर में 10 से ज्यादा तेंदुओं की एक साल में मौत
– तेंदुओं की गणना की जाएगी
टाइगर रिजर्व में लगे ट्रैप कैमरों में तेंदुआ भी कैद हुए हैं। जिस क्षेत्र में टाइगर हैं वहां छोड़कर बाकी रेंज में तेंदुओं की संख्या बहुत अच्छी है। अब तक इनकी गणना तो नहीं की गई है, लेकिन इस बार गणना करेंगे। डॉ. एए अंसारी, उप संचालक, वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व