केंद्र की बहुप्रचारित योजना किसानों के लिए बेमानी केंद्र की बहुप्रचारित योजना एफपीओ ( फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन ) किसानों के लिए ‘ थोथा ’ साबित हो रही है। प्रोड्यूसर कंपनियां किसानों के हित में कार्य करने लिए तीन साल में सरकार से ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा की सब्सिडी ली। ज्यादातर ने रजिस्ट्रेशन कराकर मंडी, खाद, बीज और दवाओं का लाइसेंस लेकर स्वयं मालामाल हो रहीं। तीन साल में किसानों से एक दाना क्रय-विक्रय नहीं किया। कुछ ने क्रय-विक्रय के नाम पर किसानों के साथ धोखा भी किया। कुछ तो बंद हैं। उनके ऑफि़स में ताला लगा हुआ है।
किसानों से जमा करा रहे 500-10000 रुपए शेयर नाबार्ड ने वर्ष 2016-17 से 2023 तक 17 एफपीओ बनाया है। एफपीओ ने किसानों को सेवाएं उपलब्ध कराने सदस्य बनाने 500 से 1000 रुपए तक शेयर जमा कराए। प्रत्येक एफपीओ को सरकार तीन साल तक मैनेजमेंट और किसानों का समूह बनाने के लिए 15-15 लाख रुपए ग्रांट दिए। ज्यादातर ने बिल प्रस्तुत कर ग्रांट ले लिए।
पत्रिका से बाचीत में बताए एफपीओ के सीइओ और संचालक पत्रिका ने छैगांव कृषि इ-फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीइओ हरीश लोध से बात की। वर्ष जनवरी 2022 में एफपीओ का गठन हुआ। 310 सदस्य हैं। 2 . 63 लाख की तीन ग्रांट ले चुके हैं। जैविक, एग्रीकल्चर इनपुट खाद, बीज और दवा पर काम कर किसानों को सेवा उपलब्ध कराएंगे। सेवा तो दूर लाइसेंस लेकर स्वयं का कारोबार कर रहे हैं। किसानों का एक दाना क्रय-विक्रय नहीं किया। निमाड़ कृषि फार्मर प्रोड्यूसर का गठन 2021 में हुआ। 550 सदस्य बनाने का दावा। किसानों से शेयर जमा कराए। मुख्य काम बम्बू, एग्रीकल्चर इनपुट यानी खाद, बीज और दवाएं उपलब्ध कराना। संचालक गौरव का कहना है कि बम्बू का काम अभी शुरू नहीं हुआ। दावा है कि अब तक 80 एकड़ बांस की खेती शुरू कराया है। 250 कृषक एक्टिव सदस्य हैं। खाद, बीज और दवा बेच रहे हैं। प्याज व तुअर की खरीदी कर रहे।
तीन ग्राउंट ले चुके, अभी तक किसानों से नहीं खरीदी उपज हरसूदएफपीओ के रवीन्द्र यादव ने 2.55 लाख, 2.63 लाख 2.60 लाख का तीन ग्रांट ले चुके हैं। चौथी किस्त का बिल ऑनलाइन किया है। अभी नहीं मिला है। बलड़ी में धर्मेन्द्र को पहला ग्रांट मिल गया। खाद, बीज का लाइेंस लेकर बेच रहे हैं। किसान शेयर नहीं जमा रहे हैं अभी तक 25 किसान जुड़े हैं। 10 सक्रिय हैं। लेकिन विभाग को 390 सदस्य बनाने की जानकारी दी है।
सरकार से सब्सिडी, कंपनियों से कमीशन ले रहे सरकार प्रत्येक एफपीओ को समूह गठन और एफपीओ विकसित करने तीन साल में 15 से 18 लाख रुपए ग्रांट दे रही है। वर्ष 2020 के पहले गठित एफपीओ को 10.50 लाख ग्रांट मिला है। वर्ष 2021 से 2022 के बीच 15 लाख, वर्ष 2023 में 18.50 लाख रुपए। इसके अलावा प्रत्येक एफपीओ को खाद, बीज और दवाओं की कंपनियों से सीधे क्रय-विक्रय का लाइसेंस दिया है। सामग्री किसानों को बाजार से कम कीमत पर उपलब्ध करना है। इसका भी कमीशन कंपनियों से संचालक ले रहे हैं।
एफपीओ गठन का मुख्य उद्देश्य एफपीओ गठित कर किसानों का समूह बनाना। प्रति समूह में न्यूनतम 350 से लेकर 750 सदस्य होना जरूरी। तीन साल पुराना होने पर इससे अधिक संख्या हो सकती है। किसानों को खाद, बीज और दवाएं उपलब्ध कराना। किसानों का उत्पादन क्रय-विक्रय करना। सीधे कंपनियों से जोड़कर उनके शेयर के अनुसार उन्हें लाभ देना। कई तो फर्जी सदस्य संख्या दे रही है। अभी तक उनके पूरे सदस्य तक नहीं बने।
फैक्ट फाइल
फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन ( एफपीओ ) सदस्य
निमाड़ कृषि फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लि 550
सतपुड़ा जैविक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 550
ओजस्वी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 422
केपीसील फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 450
ब्रह्गिरी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 305
जयबाई फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 353
खालवाबलड़ी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लि 400
बरूड फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 640
छैगांव कृषि इ-फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लि 310
उपजाऊ किसान फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी 10
पंधाना पशु पालन प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 400
टंटया मामा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 480
निमाड़ अंचल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 500
निमाड़ कृषि फेड फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लि 550
बलड़ी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 390
हरसूद फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 350
फूड ग्रेन आर्गेनिक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड 480
———————————————————— नोट : नाबार्ड की ओर से कृषि विभाग को भेजी गई रिपोर्ट से ली गई है।
इनका कहना… मनीष वेदी, प्रबंधक, नाबार्ड एफपीओ संचालक सदस्य बनाने के साथ किसानों को खाद, बीज और दवाएं बाजार मूल्य से कम भाव पर उपलब्ध करा रहे हैं। अगर ऐसा है तो जांच कराएंगे।