आनलाइन ठगी के शिकार लोग अपनी पीड़ा लेकर साइबर सेल पहुंचते हैं तो उन्हें स्थानीय थाने और बैंक के भेजा जाता है। यूं तो नियम के अनुसार थानों में अपराध पंजीबद्ध किया जाना चाहिए लेकिन थानों से भी पीडि़तों को साइबर सेल जाने का हवाला देकर चलता कर दिया जाता है। पीडि़त साइबर सेल, थाना और बैंकों के चक्कर काटने मजबूर हो जाते है।
जानकारी के अनुसार साइबर सेल में वर्तमान में हर माह 100 से अधिक मामले जांच के लिए पहुंचते हैं। अपराध से जुड़े मामलों के साथ ही मोबाइल चोरी की घटनाओं के अधिक मामले होते हैं। किसी-किसी माह संख्या 150 तक पहुंच जाती है। साइबर थाना खुलने के बाद उसमें अलग से स्टाफ की पदस्थापना होगी और उसमें साइबर से जुड़े प्रशिक्षित जवान सेवाएं देंगे। ऐसे में बैंक खातों के माध्यम से होने वाले फ्राड पकडऩे में मदद मिलेगी।
पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर साइबर सेल थाना के लिए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने की जमीन चिन्हित की गई है। जमीन चिन्हित कर प्रस्ताव भेज दिया गया है। मुख्यालय से अनुमति मिलने के बाद साइबर थाना का निर्माण शुरू होगा। साइबर थाना बनने से साइबर अपराधों के निराकरण में मदद मिलेगी।
डा. संतोष डेहरिया, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक