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सीपीआर : यदि कोई व्यक्ति बेहोश है, सांस नहीं ले पा रहा है तो सीपीआर शुरू करें, मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने बताई पद्धति

मेडिकल कॉलेज और पत्रिका की संयुक्त कार्यशाला में चिकित्सकों ने आर्टिफिशयल ह्यूमन बॉडी में सीपीआर देकर बारीकियां और उसकी पद्धति बताई। प्रधानमंत्री ऑफ एक्सीलेंस कॉलेज एसएन कॉलेज में शनिवार को सीपीआर की आयोजित कार्यशाला मेडिसिन विभाग के सीनियर प्राध्यापक डॉ रंजीत बडोले ने कॉलेज के छात्रों व प्रोफेसर से कही। इस दौरान छात्रों को आर्टिफिशयल ह्यूमन बॉडी में सीपीआर देकर उसकी बारीकियों के साथ पद्धति बताई।

खंडवाJan 19, 2025 / 11:40 am

Rajesh Patel

मेडिकल कॉलेज और पत्रिका की संयुक्त कार्यशाला में चिकित्सकों ने आर्टिफिशयल ह्यूमन बॉडी में सीपीआर देकर बताई बारीकियां

मेडिकल कॉलेज और पत्रिका की संयुक्त कार्यशाला में चिकित्सकों ने आर्टिफिशयल ह्यूमन बॉडी में सीपीआर देकर बारीकियां और उसकी पद्धति बताई। प्रधानमंत्री ऑफ एक्सीलेंस कॉलेज एसएन कॉलेज में शनिवार को सीपीआर की आयोजित कार्यशाला मेडिसिन विभाग के सीनियर प्राध्यापक डॉ रंजीत बडोले ने कॉलेज के छात्रों व प्रोफेसर से कही। इस दौरान छात्रों को आर्टिफिशयल ह्यूमन बॉडी में सीपीआर देकर उसकी बारीकियों के साथ पद्धति बताई।

व्यक्ति को तब तक दबाएं जब तक एम्बुलेंस न आ जाए

यदि कोई व्यक्ति बेहोश है, सांस नहीं ले पा रहा है, तो उसे तत्काल सीपीआर शुरू करें। सबसे पहले व्यक्ति के कंधों को मजबूती से हिलाएं और जोर से पूछें कि क्या वह ठीक है। यदि कोई व्यक्ति आप के साथ है तो उनसे कहें कि वह 108 पर एम्बुलेंस को फोन करें। व्यक्ति को तब तक दबाएं जब तक एम्बुलेंस न आ जाए या फिर कोई अन्य फैसिलिटी न मिल जाए। यह बातें प्रधानमंत्री ऑफ एक्सीलेंस कॉलेज एसएन कॉलेज में शनिवार को सीपीआर की आयोजित कार्यशाला मेडिसिन विभाग के सीनियर प्राध्यापक डॉ रंजीत बडोले ने कॉलेज के छात्रों व प्रोफेसर से कही। इस दौरान छात्रों को आर्टिफिशयल ह्यूमन बॉडी में सीपीआर देकर उसकी बारीकियों के साथ पद्धति बताई।

बच्चों को सीपीआर देने की पद्धति अलग

एसएन कॉलेज में पत्रिका और नंदकुमार सिंह चौहान शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के संयुक्त अगुवाई में कार्यशाला आयोजित की गई। डॉ बड़ोले ने कहा कि सीपीआर करते समय स्पष्ट संकेतों पर ध्यान दें। यदि व्यक्ति में किसी भी तरह की चेतना दिखाई देने लगे जैसे कि सांस लेना, शरीर को हिलाना, आंखें खोलना, आवाजें निकालना और बात करना तो ऐसे में छाती को दबाना की प्रक्रिया बंद करें। इस दौरान सह प्राध्यापक डॉ पंकज जैन ने जानकारी दी कि सीपीआर वयस्क को ही दें। क्यों शिशुओं, बच्चों को सीपीआर देने की पद्धति अलग है। उसे चिकित्सक या फिर अच्छे से ट्रेनिंग लेने वाला ही दे सकता है। मेडिसिन विभाग के जूनियर रेसिडेंट डॉ नरेंद्र ने रबर की आर्टिफिशयल ह्यूमन मैनकिन में सीपीआर की पद्धति की बारीकियां बताई। इस दौरान सीनियर प्रोफेसर डॉ रंजीत बड़ोले ने कहा कि देश में हर साल सात लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। इसमें दो से पांच प्रतिशत लोग सीपीआर के उपयोग से बच सके।

कॉलेज के छात्रों ने आर्टिफिशयल ह्यूमन बॉडी से सीखी पद्धति

कार्यशाला में कॉलेज के छात्रों ने चिकित्सकों से आर्टिफिशयल ह्यूमन बॉडी ( मैनकिन ) से सीपीआर की बारीकियां सीखी। चिकित्सकों ने छात्र, छात्राओं से बारी-बारी से मैनकिन में सीपीआर देना सिखासा और उसकी पद्धति बताई। इस दौरान कई छात्रों ने चिकित्सों से नदी में डूबने के दौरान बचाने के बाद सीपीआर की प्रक्रिया पूछी। इसके अलावा कार्यशाला में मौजूद कॉलेज की महिला व पुरुष प्राध्यापकों ने भी कई सवाल पूछे और जवाब से संतुष्ट हुए।

सीपीआर देने ये जांच ओर करें -सुरक्षा सुनिश्चित करें :

 सबसे पहले, यह सुनिश्चित करें कि आप और पीड़ित दोनों सुरक्षित हैं। यदि स्थिति खतरनाक है, तो पहले उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाएं।
चेतना जांचें : पीड़ित व्यक्ति को हल्के से झकझोरें और पूछें, क्या आप ठीक हैं ? यदि वह प्रतिक्रिया नहीं देता है , तो मदद के लिए कॉल करें।

आपातकालीन सेवाओं को बुलाएं : यदि पीड़ित बेहोश है, तो तुरंत आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें।
श्वसन जांचें : सांस लेने की स्थिति की जांच करें। यदि वह सांस नहीं ले रहा है या सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो सीपीआर शुरू करें।

ऐसे करें सीपीआर
छाती को दबाना : पीड़ित के सीने के बीच में अपने हाथों को रखें और 30 बार छाती को दबाएं। दबाव को तेज और गहरा रखें ( लगभग 5-6 सेंटीमीटर ) और प्रति मिनट 100-120 बार दबाएं।

चिकित्सकों ने दिए सुझाव-सीपीआर से बचाया जा सकता है जीवन

डॉ रंजीत बड़ोले, सीनियर प्राध्यापक, मेडिसिन विभाग :

बेसिक लाइफ सपोर्ट के लिए हर समय तैयार रहना चाहिए। इस लिए हर व्यक्ति को सीपीआर की पद्धति सीखना और जानना चाहिए। घर हो या बाहर किसी भी पीड़ति व्यक्ति को सीपीआर की जरूरत पड़े तो आगे आएं। और जिंदगी बचाने में सहयोग करें। पीड़ित व्यक्ति को दो मौखिक सांसें दें। आपातकालीन सेवाएं पहुंचने तक सीपीआर की प्रक्रिया करते रहें। छाती में लगातार 30 बार दबाव दें। सीपीआर देते समय गहराई का ध्यान रखें, ताकि रक्त प्रवाह सही तरीके से हो सके। सीपीआर तकनीकी से हृदय रुकने की स्थिति में जीवन बचाया जा सका है।

ऐसे स्थित में नहीं दे सीपीआर

डॉ पंकज जैन, सह प्राध्यापक, मेडिसिन विभग, मेडिकल कॉलेज

यदि बेहोश व्यक्ति की सांस चल रही है, तो ऐसी स्थित में सीपीआर नहीं दें। सीआर दो तरह से होती है। पहला बेसिक लाइफ सपोर्ट इसमें अस्पताल के बाहर यदि कोई व्यक्ति कार्डियक अरेस्ट की चपेट में आता है तो सीपीआर दिया जाता है। दूसरा एडवांस लाइफ सपोर्ट। इसकी प्रक्रिया हॉस्पिटल में होती है। इमर्जेंसी दवाएं आदि से नियंत्रण की कोशिश की जाती है।

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