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करोड़ों खर्च कर इमारतें की जा रहीं खड़ी, पर इलाज करने वाले विशेषज्ञ नहीं कर पाए तैनात

-जिले के हटा सिविल अस्पताल और अन्य छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञों के ३६ पद स्वीकृत, पर ३१ पड़े खाली।
-११ लाख की आबादी दमोह के जिला अस्पताल पर आज भी निर्भर
स्पॉट लाइट

दमोहJan 18, 2025 / 08:13 pm

आकाश तिवारी


दमोह. अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएं मेडिकल ऑफिसर और सीएचओ के भरोसे चल रही हैं। कई स्वास्थ्य केंद्रों में तो ग्रामीण मरीजों के इलाज के लिए एएनएम या नर्से ही तैनात हैं। जानकर हैरानी होगी कि ११ लाख की आबादी के बीच मात्र ५ विशेषज्ञ तैनात हैं। इनमें से दो को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का सीबीएमओ का चार्ज भी दिया गया है। अब भला ऐसे में गंभीर मरीज इलाज के लिए शहर का रुख न करें तो ये कैसे संभव है। यहां बता दें कि जबेरा, हटा और पथरिया विधानसभाओं की हालत बेहद खराब है। दो-दो मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र में विशेषज्ञों का टोटा है। हालांकि इनके क्षेत्रों में इमारतें जल्द स्वीकृत हो जाती हैं और समय पर स्वास्थ्य संस्थाओं के लिए राशि जारी होने के साथ निर्माण भी समय पर पूरा करा दिया जाता है। पर इलाज करने वाले डॉक्टर तैनात कराने में माननीयों का जोर नहीं चल पा रहा है। यही वजह है कि करोड़ों रुपए खर्च कर खड़ी की गई इमारतें महज सफेद हाथी बनकर रह गई हैं।
-६० बिस्तर के अस्पताल में मात्र एक विशेषज्ञ तैनात
सीएमएचओ कार्यालय से मिले रिकार्ड पर नजर डालें तो करोड़ों रुपए खर्च कर सिविल अस्पताल बनाया गया है। छह विशेषज्ञों की तैनाती के लिए पद स्वीकृत किए गए हैं। इन पदों में सीबीएमएओ, चिकित्सा अधिकारी,स्त्री रोग, शिशु रोग, निषचेतना और सर्जन के पद शामिल हैं। पर यहां सिर्फ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अमन श्रीवास्तव ही तैनात हैं। अन्य पांच पद खाली पड़े हुए हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां की एक बड़ी आबादी सिर्फ और सिर्फ जिला मुख्यालय पर निर्भर है।
-हैरानी: जबेरा विस में छह पद स्वीकृत, पर सभी खाली
जिले के हिंडोरिया, तेंदूखेड़ा, जबेरा, पटेरा और बटियागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां के मरीजों का इलाज करने के लिए एक भी विशेषज्ञ नहीं है। ङ्क्षहडोरिया, तेंदूखेड़ा और पटेरा में विशेषज्ञों की चार-चार पद स्वीकृत हैं, पर सभी खाली पड़े हुए हैं। पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी की विधानसभा में छह पद स्वीकृत हैं। हैरानी की बात यह है कि यह सभी पद खाली पड़े हैं।
-पथरिया में चार में से दो पद भरे, एक पर अस्पताल की जिम्मेदारी
पथरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए विशेषज्ञों के चार पद स्वीकृत किए गए हैं। यहां सीबीएमएओ और स्त्रीरोग विशेषज्ञ का पद ही भरा है। अन्य पद खाली हैं। कुल मिलाकर देखें तो अंचलों में ३६ पोस्ट शासन ने स्वीकृत कर रखी है, पर महज ५ पद भरे गए हैं। शेष ३१ पद खाली पड़े हैं।
यह हो रही परेशानी:
-रेफर वाले प्रकरणों की संख्या में हो रहा इलाफा।
-मातृ-शिशु मृत्युदर पर नहीं लग पा रहा अंकुश
-सामान्य बीमारी के इलाज के लिए भी शहर आना पड़ रहा मरीजों को।
-सिजेरियन की नहीं कोई सुविधा, मुख्यालय में ही हो रहे ऑपरेशन।
-गंभीर हालत में मरीज के पहुंचने पर नहीं, होता मरीज का इलाज।
-रेफर के बाद समय पर नहीं मिलती एम्बुलेंस।
-जिला अस्पताल की ओपीडी में ४० फीसदी अंचल से आने वाले मरीजों का लोड।
वर्शन
हमारे द्वारा समय-समय पर शासन को पत्र लिखकर विशेषज्ञों की मांग की जा चुकी है। नियुक्ति शासन स्तर से होना है।

डॉ. मुकेश जैन, सीएमएचओ दमोह

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