बता दें कि जिले में ५ ब्लैक स्पॉट हैं, जो वर्ष २०२३ में चिंहित किए गए थे। इस साल जो सड़क हादसे हुए हैं। वह क्या इन ब्लैक स्पॉट के ५०० मीटर के दायरे में हुए हैं या नहीं। इसकी जांच यातायात विभाग कर रहा है। थानों से हादसों के संबंध में जानकारी मांगी जा रही है। जांच में देखा जाएगा कि पूर्व में चिंहित ब्लैक स्पॉट पर ही हादसे हुए हैं या नहीं। यदि नहीं हुए हैं और दूसरी जगह पर हादसे हो रहे हैं तो उन स्थानों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिंहित किया जाएगा।
-जबेरा और तेंदूखेड़ा मार्ग पर मिली खामियां
जिले में सबसे ज्यादा सड़क हादसे जबेरा, तेंदूखेड़ा मार्ग पर हो रहे हैं। इस रूट पर एनएचएआई और यातायात ने अलग-अलग सर्वे किया है। दमोह से कटंगी होते हुए जबलपुर वाला मार्ग एनएचएआई के अंडर में है। इस लिहाज से एनएचएआई ने अपना सर्वे किया है। इधर, पाटन-जबलपुर मार्ग एमपीआरडीसी के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसका सर्वे यातायात पुलिस ने किया है। यहां पर कहीं कहीं, साइड सोल्डर की जरूरत महसूस की गई है। कुछ स्थानों पर अंधे मोड पर नोटिस बोर्ड की जरूरत है। तेज रफ्तार को कम करने के लिए रेंडम स्ट्रिप की कमी पाई है।
-एक साल में ११०० से ज्यादा दर्ज हुए हादसे
तेंदूखेड़ा मार्ग हादसों के लिए चर्चित हो गया है। यहां से गुजरने में अब लोगों को डर लगने लगा है। नए साल में भी यहां पर हादसे नहीं रुक रहे हैं। प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों का भी असर नहीं हो रहा है। २०२४ में ११०० सड़क हादसे दर्ज हुए हैं। २९० लोगों की मौतें भी हो चुकी हैं।
-महीने के आखिर में सर्वे हो जाएगा पूरा
पिछले साल सड़क हादसे कहां-कहां हुए हैं। पुराने ब्लैक स्पॉट में कितने सड़क हादसे होना पाए गए हैं। हादसों का कारण क्या था। रोकथाम के लिए क्या उपाए किए जा सकते हैं आदि बिंदुओं पर सर्वे शुरू हो चुका है। बताया जाता है कि जनवरी माह के आखिर तक यह सर्वे पूरा होगा और प्रतिवेदन रिपोर्ट कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।
जबलपुर, कटनी, छतरपुर और सागर मार्ग पर सर्वे शुरू हो चुका है। इस महीने के अंत तक हम रिपोर्ट कलेक्टर के समक्ष पेश कर देंगे। नए हॉट स्पॉट सामने आएंगे तो उन्हें शामिल करेंगे, जहां घटनाएं नहीं हुई हैं। उनके नाम हटा देंगे।