विभागीय जानकारी के अनुसार सोनेवानी 1864 यानी 160 वर्ष पहले अस्तित्व में आया था। वर्ष 2015-16 में बाघ व अन्य वन्य प्राणियों की संख्या बढऩे से राज्य सरकार ने वन्य प्राणी अनुभव क्षेत्र घोषित किया है। चार वर्ष से इसे अभयारण्य बनाने की मांग उठ रही है, लेकिन इस प्रस्ताव में राजनीतिक दखल ने सारे प्रयास ठंडे बस्ते में डाल दिए गए हैं। वन्य जीव प्रेमियों का कहना है कि सोनेवानी को अभयारण्य बनाने से बाघों के संरक्षण में मदद मिलेगी। जिले में पर्यटन भी बढ़ेगा।
डीएटीसीसी की बैठक में सोनेवानी के गाइड व जिप्सी चालक के ड्रेस कोड संबंधी चर्चा की गई है। जिसे लागू करवाने का प्रयास रहेगा। प्रशिक्षित चालक व गाइड रहने का फायदा वहां पहुंचने वाले को मिलेगा।
अधर गुप्ता, डीएफओ