आचार्य श्री ने कई लोगों को कराया था नशा से मुक्त
सिद्धचक्र महामंडल विधान का हुआ समापन, निकाली गई शोभायात्रा
बीना. श्री पारसनाथ दिगंबर जैन चौबीसी मंदिर बड़ी बजरिया में चल रहा सिद्धचक्र महामंडल विधान का शनिवार को समापन हुआ। यह आयोजन मुनि संघ व ब्रह्मचारी अभिषेक भैया के सान्निध्य में आयोजित किया गया।
सिद्धचक्र महामंडल विधान हवन, विश्व शांति महायज्ञ के साथ संपन्न हुआ। रविवार को श्रीजी की विशाल शोभायात्रा सुबह निकाली गई। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का 52 वां आचार्य पदारोहण महोत्सव मनाया गया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि विमलसागर महाराज ने कहा कि जीवन को मंदिर बनाओ, व्रत शिखर पर पहुंचाते हैं। प्रत्येक पर्व में द्रव्य अर्पण करके पूजन पाठ करें। उन्होंने कहा कि भोजन में अतिथि का हिस्सा रखना चाहिए। साथ ही पुरुषों को भी भोजन बनाना सीखना चाहिए और भोजन खिलाकर ही खाना चाहिए, यह हमारी भारतीय संस्कृति है। सिद्धचक्र से रोग दूर होते चले जाते हैं, यह महिमा अपरंपार है। मुनि भावसागर महाराज ने कहा कि आचार्य श्री ने हिंसा के तांडव के बीच अहिंसा का शंखनाद किया था। हजारों लोगों को नशीले पदार्थ का त्याग करवाया था। आचार्य श्री ने हथकरघा के माध्यम से कैदियों को नशे से दूर किया और रोजगार प्रदान कराया। उन्होंने लगभग एक लाख किमी की पदयात्रा की थी। उन्होने कहा कि सरकार से मांग करें कि विश्व दान दिवस, विश्व समाधि दिवस, विश्व ध्यान दिवस, विश्व उपवास दिवस, विश्व क्षमा दिवस, विश्व तप दिवस, विश्व संयम दिवस, विश्व मौन दिवस, विश्व त्याग दिवस, विश्व अहिंसा दिवस मनाया जाए। जिस प्रकार से विश्व योग दिवस मनाया जाता है।
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