व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने बताया कि हाल ही में AUKUS का ऐलान केवल सांकेतिक नहीं था। मुझे लगता है कि राष्ट्रपति जो बिडेन ने भी फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों को यह संदेश दिया है कि हिंद-प्रशांत महासागर की सुरक्षा के लिए बनाए गठबंधन में किसी दूसरे देश को शामिल नहीं किया जाएगा, चाहे वह भारत या जापान ही क्यों न हों।
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साकी से इस बारे में पूछा गया था कि क्या भारत या जापान को इस गठबंधन में शामिल किया जाएगा, जिसके जवाब में उन्होंने यह बात कही। अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने हिंद-प्रशांत महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण इस क्षेत्र के लिए नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन यानी आकस की 15 सितंबर को घोषणा की गई थी।
फ्रांस ने गठबंधन में उसको शामिल नहीं किए जाने की आलोचना की थी। नाराज फ्रांस ने अमरीका और ऑस्टे्रेलिया से अपने राजदूत भी वापस बुला लिए। यह पहली बार था, जब फ्रांस ने राजदूत वापस बुलाए हैं। हालांकि, बिडेन और मैक्रों के बीच हुई बातचीत के इस बाद फ्रांस इस बात के लिए राजी हो गया है कि वह अगले हफ्ते अमरीका मे अपने राजदूत वापस भेजेगा।
व्हाइट हाउस और फ्रांस के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास द एलिसी ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर यह जानकारी दी है। दोनों देशों की ओर से बताया गया है कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने अपासी भरोसा सुनिश्चित करने की स्थिति का निर्माण करने के लिए गहन विचार विमर्श किया। अक्टूबर के अंत में मैक्रों और बिडेन की यूरोप में मुलाकात होगी।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों पनडुब्बी विवाद का हल निकालने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन से स्पष्टीकरण और स्पष्ट वादों की उम्मीद कर रहे हैं। मैक्रों के ऑफिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, बिडेन ने पिछले हफ्ते अमरीका से फ्रांस के राजदूत को वापस बुलाने की पहली बार हुई घटना के कारण विश्वास में आई कमी पर चर्चा करने के लिए फोन पर बात करने का अनुरोध किया था। बयान में कहा गया कि मैक्रों हिंद प्रशांत महासागर सहयोग पर एक करार से एक यूरोपीय सहयोगी को दूर रखने के अमरीका के फैसले पर स्पष्टीकरण की उम्मीद कर रहे थे।
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अमरीका और ब्रिटेन के परमाणु पनडुब्बी की आपूर्ति के लिए आस्ट्रेलिया के साथ करार किया है। इसके बाद आस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ डीजल संचालित पनडुब्बी के करार को रद्द कर दिया है। इस पर फ्रांस ने नाराजगी जताई और इस मुद्दे पर उसे यूरोपीय यूनियन के राजनयिकों का साथ मिला है। वहीं, नॉटो के महासचिव ने भी इस पर अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने किसी का पक्ष नहीं लिया लेकिन गठबंधन के प्रमुख लक्ष्यों के बारे एकजुटता बढ़ाने पर जोर दिया।
नाराज फ्रांस ने तब कहा था कि जब हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में आम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है तो यह आपसी समन्वय की कमी को दर्शाता है। वहीं, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव साकी ने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूचि रखने वाले फ्रांस समेत कई देशों के साथ बातचीत के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है।