समाज समझें इनका महत्व…
समाज सेवा या अन्य जनहितकारी गतिविधियों सहित विभिन्न स्तरों पर सलाहकारिता, पर्यवेक्षण, निगरानी, मूल्यांकन कार्य में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं। बुजुर्ग समुदाय अपने ज्ञान, अनुभव और विशेषज्ञता के कारण विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों में समाज देश का मार्गदर्शन कर सकता है। बुुजुर्गों की देखभाल के लिए बढ़ी बुजुर्ग आबादी, खासतौर पर बुजुर्ग महिलाओं की सेवाएं ली जा सकती हैं। इनके स्वयं-सहायता समूह बनाकर उन्हें संगठित किया जा सकता है।
सबसे बड़ी जरूरत क्या…
बुजुर्गों की बढ़ती आबादी में बदलती जरूरतों और बढ़ती मांगों की अनदेखी संभव नहीं है। जहां पहले अधिकांश लोग 60 साल की उम्र पार करने के बाद कुछ ही साल वृद्धावस्था में व्यतीत करते थे, वहीं अब सेवानिवृत्ति के बाद 25-30 साल लम्बा जीवन जी रहे हैं। इसलिए उनकी जरूरतें भी बढ़ गई हैं। आज उनकी सबसे बड़ी जरूरत लम्बी वृद्धावस्था के दौरान उन्हें ऐसे व्यस्त रहने के अवसर प्रदान करना है जिससे वे स्वयं को अर्थोपार्जन कर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकेंं। क्योंकि कई को वृद्धावस्था में काम करना पड़ताहै।
सपोर्ट सिस्टम …
देश में बढ़ती बुजुर्ग आबादी को सशक्त मानव-संसाधन के तौर पर देखना चाहिए। क्षमताओं और योग्यता का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किए जाने अधिकाधिक बुजुर्ग अपनी क्षमता, योग्यता अनुसार परिवार, समाज, देश के विकास में हिस्सेदारी निभा सकें।
संवेदनाएं जरूरी –
बुजुर्ग समुदाय किसी सहानुभूति की अपेक्षा नहीं करता, बल्कि वह समाज में बराबरी का स्थान और उनके अधिकारों, हितों की रक्षा चाहता है। हर किस्म के अत्याचारों व अपराधों के लिए तुरंत न्याय चाहता है।