शोध प्रोफेसर मरियम शोजाई बागिनी, नीलेश कुमार पंडित और मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने मुंबई के हिंदुजा अस्पताल के चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ मिलकर किया। डिवाइस मोबाइल-आधारित सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन के साथ जोड़ा जाता है। यह मल्टी मॉडल प्रबंधन और रोग प्रगति की निगरानी को सक्षम बनाता है। डिवाइस की तकनीक व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए एक स्टार्टअप को सौंपी गई है। स्वास्थ्य नियामक की मंजूरी के बाद यह बाजार में उतारा जाएगा।
लक्षणों में सुधार शोधकर्ताओं का कहना है कि यह नवाचार वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती के लिए स्वदेशी और किफायती समाधान सुनिश्चित करता है। शोध के दौरान डिवाइस के परीक्षण में टिनिटस पीडि़त प्रतिभागियों के लक्षणों में महत्त्वपूर्ण सुधार देखा गया। सस्ता होने से डिवाइस बड़ी आबादी के लिए आसानी से सुलभ होगा।
दुनिया में 74 करोड़ से ज्यादा चपेट में टिनिटस न्यूरोलॉजी डिसऑर्डर है। इससे पीडि़त व्यक्ति को बाहरी ध्वनि नहीं होने पर भी कानों में झनझनाहट, फुसफुसाहट, रुक-रुककर भिनभिनाहट या अन्य तरह के शोर की अनुभूति होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 74 करोड़ से ज्यादा लोग टिनिटस की चपेट में हैं।