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नई दिल्ली

ISI Chief की नियुक्ति में इमरान की एक न चली, बाजवा ने उम्मीदवारों से भी मिलने नहीं दिया

अपने उम्मीदवार को आईएसआई चीफ की कुर्सी पर बिठाने का इमरान का सपना पूरा नहीं हो सका। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने उनके अरमानों पर पानी फेरते हुए अपने करीबी नदीम अंजुम को आईएसआई चीफ बनवा दिया।
 

नई दिल्लीOct 27, 2021 / 10:07 am

Ashutosh Pathak

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नई दिल्ली।

पाकिस्तान में इमरान खान और कमर जावेद बाजवा के बीच चल रही अंदरुनी जंग का निर्णय आ गया है। वर्चस्व की इस जंग में इमरान को करारी शिकस्त मिली और इसी के साथ आईएसआई चीफ पद पर नदीम अंजुम की नियुक्ति हो गई।
अपने उम्मीदवार को आईएसआई चीफ की कुर्सी पर बिठाने का इमरान का सपना पूरा नहीं हो सका। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने उनके अरमानों पर पानी फेरते हुए अपने करीबी नदीम अंजुम को आईएसआई चीफ बनवा दिया।
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पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी किए गए नोटिफिकेशन के बाद अब आईएसआई के नए चीफ नदीम अंजुम होंगे। अंजुम अपना पदभार 20 नवंबर से ग्रहण करेंगे। वह वर्तमान चीफ फैज हमीद की जगह लेंगे।
इस नोटिफिकेशन को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की तरफ से प्रतिष्ठा बचाने की कवायद माना जा रहा है। इससे पहले, इमरान खान वर्तमान आईएसआई चीफ फैज हामिद को दिसंबर महीने तक पद पर बनाए रखना चाहते थे। लेकिन सेना प्रमुख ने साफ कर दिया था कि फैज हमीद को अधिकतम 15 नवंबर तक पद पर रखा जा सकता है। आर्मी चीफ ने इमरान खान से ये भी कहा था कि नागरिक सरकार को आर्मी के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।
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यह भी खबर आई थी कि इमरान खान ने आईएसआई चीफ पद के सभी दावेदारों से मुलाकात की इच्छा जताई थी लेकिन नियुक्ति पैनल के डायरेक्टर जनरल ने इससे भी मना कर दिया था। बता दें कि अगस्त महीने के मध्य में काबुल पर कब्जा जमाने वाले तालिबान ने देश में अपनी अंतरिम सरकार की घोषणा 7 सितंबर को कर दी थी। सरकार की घोषणा फैज हमीद की काबुल यात्रा के बाद ही हुई थी। यह भी कहा गया है कि आईएसआई की तरफ से दिए गए दबाव के कारण मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का अंतरिम सरकार में ‘डिमोशन’ किया गया। बरादर तालिबान की दोहा टीम का मुखिया रहा है और अब अंतरिम सरकार में डिप्टी पीएम है।
तालिबान की दोहा टीम का मानना था कि सरकार को ज्यादा समावेशी बनाए जाने की जरूरत है जिससे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में कट्टरपंथी संगठन को अधिक मान्यता मिले। ये टीम पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और सीईओ अब्दुल्ला अब्दुल्ला को भी शामिल करने की पक्षधर थी। हक्कानी गुट में से भी ये टीम अनस हक्कानी को सरकार में शामिल करवाना चाहती थी।

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