कुछ महीने पहले तक जयपाल और अभागिनी एक सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे थे। मगर 2021 में उनके इस खुशहाल जिंदगी को किसी की नजर लग गई। उनका एक खुशहाल परिवार होने का सपना टूट गया क्योंकि जयपाल को 20 साल के लिए जेल में डाल दिया गया। और जयपाल की जेल में जाने की कहानी भी किसी बॉलीवुड फिल्म की कहानी से कम नहीं है।
बात तब की है जब जयपाल और अभागिनी दोनों बलांगीर जिले के देवगांव प्रखंड के बिलासपुर गांव में रहते थे। जैसे-जैसे वो दोनों बड़े हुए, उन्हें एक-दूसरे से प्यार हो गया। वहीं जब अभागिनी 16 साल की थी तब जयपाल उसे अपने घर ले गया। मगर तीन दिन बाद अभागिनी को अपने घर लौटना पड़ा क्योंकि जयपाल के परिवार ने उसे अपनी बहू के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हुए।
लेकिन, जयपाल के परिवार वालों की ये नाराजगी उस पर भारी पड़ गई। अभागिनी के परिवार वालों ने जयपाल के खिलाफ उनकी नाबालिग बेटी के अपहरण का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करा दी। शिकायत के आधार पर 2016 में जयपाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। तीन साल बाद, 2019 में, जयपाल को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
अभागिनी तब तक बालिग हो चुकी थी। जयपाल जैसे ही रिहा हुआ अभागिनी और जयपाल दोनों ने अपने-अपने घरों को छोड़ दिया और नए जीवन की शुरुआत करने लगे। दोनों ने एक मंदिर में जाकर शादी कर ली और इसके बाद दोनों अपना परिवार पालने और अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए काम करने लगे। लेकिन, इनकी खुशी कुछ दिन तक ही चली क्योंकि शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था।
जब दोनों एक सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे थे, तब भी अपहरण का मामला पॉक्सो अदालत में लंबित था। जब जयपाल जेल में था, उस दौरान अभगिनी के परिवार वालों ने उसे जयपाल के खिलाफ बयान देने के लिए मजबूर किया था। तब उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसका बयान उसकी जिंदगी बर्बाद कर सकता है। उसके बयान के आधार पर पोक्सो कोर्ट ने उसे 20 साल जेल की सजा सुनाई।
अभागिनी ने बताया, “हमने शिव मंदिर में शादी की थी। तब ये मामला चल रहा था। हम इस मामले को लेकर हर महीने की तारीख को बोलनगीर जाते थे। यहां तक कि समझौता करने के लिए याचिका भी दायर की गई थी। यहां तक की शादी रजिस्ट्र करने के लिए भी सभी कदम उठाए गए। मगर फिर भी सब कुछ गलत हो गया।” अभागिनी ने बताया कि उसके लिए खुद के माता-पिता और ससुराल ने दरवाजे बंद कर दिए गए हैं।
अभगिनी अब एक छात्रावास में रह रही है और अपने पति की जेल से रिहाई के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है। वहीं एक वकील के अनुसार, कोई भी कानून पत्नी को उसके पति से अलग नहीं कर सकता यदि वे एक साथ रहना चाहते हैं। वरिष्ठ एडवोकेट प्रमोद मिश्रा ने कहा, “अगर आरोपी और पीड़ित एक साथ रहना चाहते हैं तो कोई भी कानून बाधा नहीं बन सकता। तब POCSO अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था और अब वे एक साथ रहना चाहते हैं, वे हाईकोर्ट में अपील में बात उठा सकते हैं।”
अभागिनी को विश्वास है कि उसका संघर्ष फल देगा, उसका पति जल्द ही मुक्त हो जाएगा और वे फिर से खुशी-खुशी से रहने लगेंगे। अभागिनी की यह संघर्ष की कहानी तब सामने आई जब उसे बोलांगीर जेल में देखा गया, जहां वह अपने पति से मिलने गई थी।