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नई दिल्ली

‘भारत का डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर दे रहा देश की जीडीपी को गति’

-ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के नए अध्ययन में खुलासा

नई दिल्लीOct 23, 2024 / 04:31 pm

Shadab Ahmed

नई दिल्ली। भारत का डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर (डीएफसी) देश की जीडीपी वृद्धि दर को गति दे रहा है और न्यायसंगत आर्थिक प्रगति को बढ़ावा दे रहा है। इसके साथ ही यह उद्योगों व उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचा रहा है। इस तरह का खुलासा ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के नए अध्ययन में हुआ है।
दरअसल, देश के 7 राज्यों और 56 जिलों से होकर गुजरने वाला 2,843 किलोमीटर लम्बा डीएफसी 96.4 फीसदी पूरा हो चुका है। 1337 किलोमीटर लंबा पूर्वी डीएफसी लुधियाना से सोननगर तक और 1506 किलोमीटर लंबा पश्चिमी डीएफसी दादरी और मुंबई को जोड़ता है। विभिन्न कोयला खदानों और थर्मल पावर प्लांटों के लिए फीडर रूट के साथ आज पूर्वी डीएफसी 100 फीसदी संचालित है। जबकि पश्चिमी डीएफसी का विकास कार्य भी 93.2 फीसदी पूरा हो चुका है। इसमें फीडर रूट क्षेत्र के विभिन्न सीमेंट प्लांटों और गुजरात के मुंद्रा, कांडला, पिपावाव और हजीरा के बड़े बंदरगाहों से जड़े हुए हैं। वर्तमान में प्रतिदिन डीएफसी पर औसतन 325 ट्रेनें चल रही हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 60 फीसदी अधिक हैं। ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के अध्ययन में बताया गया कि डीएफसी नेटवर्क ने समग्र राष्ट्रीय आर्थिक उन्नति में योगदान दिया है। सबसे अधिक आर्थिक लाभ डीएफसी के सबसे करीबी वाले पश्चिमी क्षेत्रों में हुआ है, जहां माल ढुलाई लागत में काफी हद तक कमी आई है। हालांकि, डीएफसी से दूर वाले क्षेत्रों को भी परिवहन लागत में आई कमी से लाभ पहुंचा है।
Dedicated Freight Corridor

अध्ययन पश्चिमी डीएफसी कॉरीडोर पर केंद्रित

एल्सेवियर जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर पर केंद्रित है। इस मॉडल में भारत के व्यापक डेटा का अध्ययन किया गया, जिसमें माल परिवहन लागत, उद्योग, आपूर्तिकर्ता, उपभोक्ता और जनसंख्या सम्बंधित डेटा का इस्तेमाल हुआ है। इस अध्ययन में विस्तृत रूप से बताया गया है कि कैसे कम लागत और माल परिवहन नेटवर्क में समग्र सुधार से स्टेकहोल्डरों को लाभ पहुंच रहा है। इन स्टेकहोल्डरों में क्षेत्र, उद्योग और उपभोक्ता शामिल हैं। मॉडल की सटीकता को आर्थिक डेटा के साथ-साथ सडक़ परिवहन मंत्रालय और भारतीय रेलवे के डेटा से भी जांचा गया है।

अध्ययन के महत्वपूर्ण निष्कर्ष

न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय का अध्ययन इस मायने में भी उल्लेखनीय है क्योंकि इसमें भारत के 33 क्षेत्रों और 29 उद्योगों को शामिल किया गया है। अध्ययन से पता चलता है कि बेहतर कनेक्टिविटी से भारतीय जीडीपी में सुधार के साथ भारतीय रेलवे की आय में भी वृद्धि हुई है। डीएफसी देश की जीडीपी में सीधे 160 बिलियन रुपए का योगदान करेगा। डीएफसी के संचालन से माल परिवहन लागत और पारगमन समय में कमी ने वस्तुओं की कीमतों को 0.5 फीसदी तक कम करने में मदद की है। साथ ही यह भी पाया गया कि डीएफसी ने वित्त वर्ष 2022-23 और 2018-19 के बीच भारतीय रेलवे आय की वृद्धि में 2.94 फीसदी का योगदान दिया है।

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