5 मई को दर्ज की गई सीबीआई की प्राथमिकी में लेफ्टिनेंट कर्नल अभिषेक चंद्रा को एक आरोपी के रूप में नामित किया गया, जिन्होंने “अवैध संतुष्टि” प्राप्त करने के बाद चुनिंदा ठेकेदारों को अनुचित लाभ प्रदान किया। सरकार द्वारा सीबीआई को अधिकारी के खिलाफ जांच आगे बढ़ाने की मंजूरी दिए जाने के बाद यह कार्रवाई हुई है।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि अभिषेक चंद्रा ने 2018 में कोलकाता स्थित ‘रोचक एग्रो फूड प्रोडक्ट्स लिमिटेड’ के शुभम चौधरी और उसके प्रतिनिधि दयाल चंद्र दास से उनके कुछ काम करने के बदले रिश्वत ली थी। प्राथमिकी में यह भी कहा कहा गया है कि इन अधिकारियों को राशन और अन्य वस्तुओं की खरीद के मामले में बेस विक्टुअलिंग यार्ड, अंडमान और निकोबार कमान, मिनी बे, पोर्ट ब्लेयर में तैनात किया गया था।
अभिषेक चंद्रा पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने बेस विक्टुअलिंग यार्ड, मिन्नी बे, पोर्ट ब्लेयर और अंडमान को बिना मूल्य वार्ता समिति के मसालों सहित खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए ठेका प्रदान करना सुनिश्चित किया है वहीं, बीवी यार्ड, पोर्ट ब्लेयर के साथ पिछले अनुबंध के लिए जमा उक्त कंपनी की बैंक गारंटी के बदले में उन्हें निजी फायदा पहुंचाया गया।
चंद्रा ने इसके लिए कथित तौर पर 75 हजार रुपये मांगे थे और चौधरी से यह राशि ली भी थी, इसके लिए चंद्रा ने एनईएफटी के माध्यम से बोकारो में दो बैंक खातों में राशि जमा करवाई। । च्रंदा पर पोर्ट ब्लेयर स्थित एक अन्य आपूर्तिकर्ता से भी तीन लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है।