उन्होंने कहा, “जब दक्षिणी राज्य में लोग तमिल और अंग्रेजी सीख रहे हैं, तो दूसरी भाषाओं की क्या जरुरत है। एक भाषा के रूप में हिन्दी की तुलना में अंग्रेजी अधिक मूल्यवान है। हिंदी बोलने वाले कोयंबटूर में पानी पुरी बेचते हैं। हिन्दी को वैकल्पिक होना चाहिए न कि अनिवार्य।”
उच्च शिक्षा मंत्री पोनमुडी ने कहा, “हमें बताया गया था कि हिंदी सीखने से हमें नौकरी मिलेगी, क्या हमें मिली? आप हमारे राज्य और कोयंबटूर में जाकर देखें, वे लोग कौन हैं जो पानी पुरी बेचते हैं। के पोनमुडी ने आगे कहा कि अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है। सीएन अन्नादुरई ने अंग्रेजी और तमिल का जोरदार समर्थन किया। वह एक व्यक्ति के बारे में एक कहानी सुनाते थे जो बिल्लियों और चूहों के लिए दो अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाते थे। उस व्यक्ति को बताया गया था कि चूहा बिल्लियों के लिए बने प्रवेश द्वार से भी प्रवेश कर सकते हैं।”
दीक्षांत समारोह में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के साथ मंच साझा करते हुए, उन्होंने सवाल किया कि हिंदी क्यों सीखनी चाहिए, जबकि अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा पहले से ही सिखाई जा रही है। अन्य भाषाओं की क्या जरुरत है? पोनमुडी ने दावा किया कि तमिलनाडु भारत में एजुकेशन सिस्टम में सबसे आगे है और कहा कि तमिल छात्र किसी भी भाषा को सीखने के लिए तैयार हैं। हालांकि, हिंदी केवल एक वैकल्पिक भाषा होनी चाहिए और अनिवार्य नहीं।
पोनमुडी ने व्यंग्यात्मक रूप से यह व्यक्त किया कि अंग्रेजी हिंदी से अधिक मूल्यवान है और दावा किया कि हिंदी भाषी नौकरी कर रहे हैं। आपको बता दें, देश भर में हिंदी भाषा को लागू करने पर बहस चल रही है। बीजेपी के नेतृत्व वाला केंद्र सरकार हिंदी के अखिल भारतीय इस्तेमाल पर जोर दे रहा है और दक्षिणी राज्यों ने इसका कड़ा विरोध किया है।