सरकार के इस फैसले के बाद से कुछ लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं। वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी ने सरकार के इस फैसले पर सफाई दी है। उनका कहना है कि यह ईमानदारी और कर्तव्य के प्रदर्शन को सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई में जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का हिस्सा है। मौलिक नियमों के जनहित से जुड़े खंड 56 (जे) के तहत सरकार को कम से कम तीन महीने का लिखित नोटिस देकर रिटायरमेंट देने का अधिकार है। वहीं नोटिस न देने की स्थिति में कर्मचारी को 3 महीने का वेतन और भत्ता देकर किसी भी सरकारी कर्मचारी को सार्वजनिक हित में सेवानिवृत्त करने का पूर्ण अधिकार है।
बता दें कि यह कोई पहली दफा नहीं है कि जब सरकार ने कर्मचारियों को जबरन रिटायरमेंट दी हो। इससे पहले जून 2019 में केंद्र सरकार ने ऐसा ही फैसला लिया था। दरअसल, सरकार ने आयकर विभाग के 12 सहित 27 वरिष्ठ भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया था। सरकार ने एक जॉइंट कमिश्नर रैंक के अधिकारी समेत 12 वरिष्ठ आयकर अधिकारियों को भ्रष्टाचार और पेशेवर कदाचार के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद अगस्त 2019 में सरकार ने 22 कर अधिकारियों पर भष्टाचार और अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए बर्खास्त कर दिया था।