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छत्तीसगढ़ में नक्सल संगठन को तगड़ा झटका लगा है। इंटेलीजेंस के सूत्रों के अनुसार दामोदर की मौत की वजह से नक्सलियों की बारूद सप्लाई की चेन टूट गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि तेलंगाना और बस्तर के लिए बारूद और हथियारों की खरीदी का काम दामोदर की देखरेख में होता था। इसके लिए फंड जुटाने का काम भी वही करता था। अब यह जानकारी भी सामने आई है कि बारूद और हथियार खरीदने के लिए दामोदर ने तीन साल पहले पामेड़ के जंगलों में एक बैठक रखी थी।
इसमें बीजापुर जिले के दो राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं को बुलाया गया और जिम्मेदारी दी गई कि तारलागुड़ा-भोपालपट्टनम में रेत खनन का काम करें, जो मुनाफा हो उसका हिस्सा संगठन को दें। सूत्र बताते हैं कि इस काम की शुरुआत के साथ ही संगठन को जो पहली लेवी मिली वो 35 लाख रुपए की थी। उस वक्त जब तेलंगाना में रेत की डिमांड बढ़ रही थ तो दामोदर ने मौके का फायदा उठाते हुए रेत का कार्टेल बनवाया था। रेत खदान के लीज धारकों को बीजापुर के नेता को रेत देने का आदेश पामेड़ से लगे जंगलों में दिया गया था। बीजापुर जिले से बहने वाली इंद्रावती नदी की रेत की तस्करी के काम में में दामोदर का सीधा दखल था। रेत के अवैध कारोबार से संगठन लाखों की उगाही करता था।
नॉर्थ ईस्ट के उग्रवादी संगठनों से करता था हथियार की खरीदी: इंटेलीजेंस के सूत्र कहते हैं कि दामोदर के जाने के बाद बारूद की सप्लाई की एक बड़ी चेन टूट गई है । दामोदर पार्टी के लिए जरूरी हथियारों और बारूद की आपूर्ति के लिए नॉर्थ ईस्ट के संगठनों के संपर्क में रहता था। वह उनसे खरीदी की डील सीधे करता था। हथियारों में उसकी विशेष रुचि भी थी। वह अपने पास भी हाईटेक हथियार रखा करता था। उसके गार्ड ही आधुनिक हथियार से लैस हुआ करते थे।
बाल संघम से ज्वाइनिंग, छत्तीसगढ़-तेलंगाना में रहा सक्रिय
बताया जाता है कि दामोदर तेलंगाना के मुलुगु जिले के कालवापल्ली का रहने वाला था। वह नक्सल संगठन से बाल संघम के रूप में ही जुड़ गया था। पिछले कई सालों से बस्तर के दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिले के सरहदी इलाके में सक्रिय था। इंटेलीजेंटस के सूत्र कहते हैं कि उसकी मौत कम उम्र में हुई है। इस वजह से संगठन को तगड़ा झटका लगा है। उसकी मौत की खबर आने के बाद बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने भी कहा कि नक्सल आंदोलन के लिए उसकी मौत बड़ा झटका है।
नक्सलियों के बाद फोर्स ने भी मौत की पुष्टि की
दरअसल, 16 जनवरी को हुई मुठभेड़ के बाद जवान 12 नक्सलियों के शव बीजापुर लेकर आए थे। 6 शव को नक्सली अपने साथ लेकर चले गए थे। मुठभेड़ के दो दिन बाद 18 जनवरी को नक्सलियों ने प्रेसनोट में बताया था कि दामोदर के साथ 6 नक्सली और मारे गए हैं। इसके बाद बस्तर पुलिस ने भी प्रेस नोट जारी कर कहा था कि उन्होंने दामोदर को मारा है। हालांकि अभी नक्सलियों की तरफ से दामोदर की बॉडी या उसकी अंतिम यात्रा का कोई वीडियो या फोटो नहीं आया है। आमतौर पर बड़े लीडरों की मौत के बाद नक्सली तस्वीर जारी करते हैं। अभी इसमें विलंब हो रहा है।
फंडिंग में एक्सपर्ट था इसलिए आजाद नहीं दामोदर बना सेक्रेटरी
तेलंगाना स्टेट कमेटी में सेक्रेटरी बनने के लिए दो प्रमुख दावेदार थे। जून 2021 में कोरोना से हरिभूषण की मौत के बाद यह पद खाली हुआ था। दामोदर और आजाद ने पद के लिए दावेदारी की लेकिन दामोदर आगे निकल गया और उसकी नियुक्ति कर दी गई। बताते हैं कि फंडिंग में पकड़ की वजह से ही दामोदर को जिम्मेदारी दी गई थी। तेलंगाना के अलावा वह बस्तर में भी संगठन को आर्थिक रूप से संभाले हुए था। इसके अलावा बारूद और हथियारों की खरीदी में भी उसकी विशेषज्ञता थी।