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जावेद अख्तर को मंच पर बोलने नहीं दिया गया
आपको बता दें कि शलाका सम्मान (2017-18) से सम्मानित किये जाने के बाद उन्हें मंच पर कुछ भी बोलने नहीं दिया गया। राजधानी दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में आयोजित किए गए सम्मान समारोह में जावेद अख्तर को सम्मानित किया गया। उसके बाद अन्य लोगों के नाम पुकारे जाने लगे। लेकिन इस दौरान अख्तर मंच पर ही खड़े रहे। वे अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे कि उनका नाम पुकारा जाएगा और वे लोगों के साथ अपना विचार साझा कर सकेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद वे काफी नाराज हो गए और मंच से उतरकर ऑडिटोरियम के बाहर जाने लगे। हालांकि जब कार्यक्रम के आयोनकर्ताओं को यह बात समझ मे आई तो कुछ सदस्य ने उन्हें मनाया और फिर कुछ देर बाद वह मान गए और मंच पर वापस चले गए। इसके बाद जावेद अख्तर को बोलने के लिए आमंत्रित किया गया।
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मुझे जल्दी से बोलने का अवसर दे दिया जाए…
आपको बता दें कि जावेद अख्तर को शलाका सम्मान से सम्मानित किया गया और सम्मान स्वरूप उन्हें पांच लाख रुपए , शॉल, प्रशस्ति पत्र व ताम्रपत्र भेंट किया गया। इस कार्यक्रम में एमके रैना को शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावे दिव्या भारती को संतोष कोली स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। जावेद अख्तर ने सभी का अभिवादन करते हुए कहा कि मुझे किसी कार्यक्रम में जाना था, इसलिए मैंने अनुरोध किया था कि मुझे जल्दी से बोलने का अवसर दिया जाए। हालांकि उन्होंने हंसते हुए कहा कि यह पूरी बात आपस में रहे। जावेद अख्तर ने कहा कि जब वे मंच से उतरकर जाने लगे तो मुझे पकड़कर कहा गया कि क्या ये पांच लाख रुपए मुफ्त के हैं। आपको कुछ बोलना तो पड़ेगा। अख्तर ने सभी को धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि हिंदी व उर्दू के बीच की दीवार तोड़ने के लिए हिंदी अकादमी को बधाई। जावेद अख्तर ने कहा कि स्कूल व कॉलेजों में हिंदुस्तानी विषय छात्रों को पढ़ाया जाना चाहिए, जिसकी लिपि देवनागरी हो और उसमें उर्दू की कविताओं व साहित्य का जिक्र हो। बता दें कि इस विशेष अवसर पर दिल्ली सरकार ने सभी का धन्यवाद किया और आशा की कि आगे भी आप जैसे लोग समाज के लिए उत्कृष्ट काम करते रहेगें।