scriptयूपी के बाद राजस्थान-एमपी में दलित अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले | Patrika News
नई दिल्ली

यूपी के बाद राजस्थान-एमपी में दलित अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले

चिंताजनक: केंद्र सरकार की रिपोर्ट में खुलासा

नई दिल्लीSep 23, 2024 / 01:35 am

ANUJ SHARMA

नई दिल्ली. दलितों एवं आदिवासियों पर अत्याचार के मामले में राजस्थान और मध्यप्रदेश की हालत खराब है। अनुसूचित जाति पर अत्याचार के दर्ज मामलों में उत्तर प्रदेश टॉप पर है लेकिन राजस्थान और मध्य प्रदेश दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की 2022 के आंकड़ों पर ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। जनजाति अत्याचार के मामलों में भी मध्यप्रदेश और राजस्थान दूसरे और तीसरे नंबर है। अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण कानून के प्रावधानों के तहत मंत्रालय यह वार्षिक रिपोर्ट जारी करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अजा अत्याचार के 97.7 फीसदी मामले देश के 13 राज्यों में है जबकि जनजाति अत्याचार के करीब 99 फीसदी मामले 13 राज्यों में केंद्रित हैं।
सजा के प्रतिशत में गिरावट

रिपोर्ट के अनुसार अजा-जजा अत्याचार निवारण कानून के तहत कोर्ट से सजा के मामलों में गिरावट आई है।वर्ष 2022 में केवल 32.4 फीसदी मामलों में सजा हुई जबकि 2020 में यह आंकड़ा 39.2 प्रतिशत था। रिपोर्ट में इस रुझान को चिंताजनक माना गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि एससी पर अत्याचार से संबंधित 60.38 प्रतिशत मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए, जबकि 14.78 प्रतिशत मामलों में झूठे दावों या साक्ष्यों के अभाव के कारण पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट (एफआर) लगा दी। एसटी से संबंधित 63.32 प्रतिशत मामलों में आरोप पत्र दाखिल किए गए, जबकि 14.71 प्रतिशत मामलों में एफआर लगाई गई।
विशेष अदालतों की संख्या कम

कानून के तहत अजा-जजा अत्याचार मामलों में जल्द सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित की जानी चाहिए। रिपोर्ट में इन अदालतों की अपर्याप्त संख्या की ओर ध्यान दिलाते हुए बताया गया है कि 14 राज्यों के 498 जिलों में से केवल 194 ने ही इन मामलों में तेजी लाने के लिए विशेष अदालतें बनाई गई।
जिलों की पहचान का काम सुस्त

कानून के तहत राज्य सरकारों को दलित और आदिवासियों पर अत्याचार की प्रवृत्ति वाले जिलों को चिन्हित करने का प्रावधान है। रिपोर्ट के अनुसार केवल 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) ने ही ऐसे जिलों व क्षेत्रों की पहचान व घोषणा की है। अन्य राज्यों और यूटी ने ऐसे समस्याग्रस्त जिले होने से इनकार किया है। इनमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है जहां दलित अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट में चिन्हित जिलों में जाति-आधारित हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगाने तथा कमजोर समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय करने को कहा गया है।
राजस्थान-मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्रियों ने नहीं की मीटिंग

कानून के तहत एससी-एसटी अत्याचार के दर्ज मामलों की मॉनिटरिंग व सतर्कता के मध्यप्रदेश व राजस्थान में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय कमेटी बनी हुई है लेकिन 2022 में दोनों राज्यों में सीएम ने इस कमेटी की बैठक ही नहीं की। दोनों राज्यों में एससी-एसटी अत्याचार की प्रवृत्ति वाले जिलों व क्षेत्रों को चिन्हित जरूर किया है। मध्यप्रदेश में 3663 में से 203 तथा राजस्थान में 1777 में से केवल तीन मामलों में ऊंची अदालतों में अपील की गई जिनमें अभियुक्तों को बरी कर दिया गया था।
अजा-जजा अत्याचार मामलों में प्रमुख राज्य (2022 में दर्ज मामलों की संख्या)

राज्य—–अजा —–जजा

उत्तर प्रदेश—12287—5

राजस्थान–8651—2498

मध्यप्रदेश—7732–2979

बिहार—6509—146

ओडिशा–2902–773

महाराष्ट्र—2276–688

आंध्र प्रदेश—2190—379

कर्नाटक–1930–434

तेलंगाना—1725–529
तमिलनाडु—1684—61

हरियाणा—1535—0

गुजरात—1214—322

केरल—1021—167

झारखंड—443—131

छत्तीसगढ़–321—510

देश में कुल–52766—9735

Hindi News / New Delhi / यूपी के बाद राजस्थान-एमपी में दलित अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले

ट्रेंडिंग वीडियो