PM मोदी का एक तीर से लगाए कई निशाने
दरअसल, फरवरी में होने वाले
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दंगल पूरी तरह सज चुका है। इसके साथ ही दिल्ली का चुनाव इस बार भाजपा के लिए काफी अहम माना जा रहा है। इसी बीच आठवें वेतन आयोग को मंजूरी देकर केंद्र सरकार ने बड़ा सियासी दांव खेला है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की मोदी सरकार का यह फैसला दिल्ली में भाजपा के लिए सियासी संजीवनी साबित हो सकता है। मोदी सरकार की इस घोषणा से दिल्ली में रहने वाले करीब 10 लाख सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को फायदा पहुंचने वाला है। ऐसे में यह घोषणा निश्चित रूप से दिल्ली में भाजपा के लिए चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ाने वाली है।
लंबे समय से इंतजार कर रहे थे केंद्रीय कर्मचारी
दूसरी ओर केंद्र सरकार के कर्मचारी संगठन लंबे समय आठवें वेतन आयोग के गठन की मांग उठा रहे थे। साल 2024 में कई बार संसद सत्र के दौरान भी इसको लेकर सवाल पूछे गए थे। उस समय केंद्र सरकार ने जवाब दिया था कि अभी आठवें वेतन आयोग के गठन का कोई भी प्रस्ताव उसके पास विचाराधीन नहीं है। अब दिल्ली चुनाव के बीच अचानक आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा से दिल्ली में रहने वाले लाखों केंद्रीय कर्मचारी गदगद हैं, क्योंकि आठवें वेतन आयोग के लागू होने से उनके वेतन में कई गुना बढ़ोतरी हो सकती है। दिल्ली की सियासत पर क्या पड़ेगा असर?
सियासत का केंद्र बनी देश की राजधानी दिल्ली में नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA), पुलिस, डिफेंस, लॉ एंड ऑर्डर समेत कई ऐसे विभाग हैं। जो केंद्र सरकार के अधीन हैं। इसके अलावा दिल्ली में अलग-अलग मंत्रालयों में भी बड़ी संख्या में कर्मचारी नौकरी करते हैं। वो रहते भी दिल्ली में हैं। दिल्ली सरकार के कर्मचारियों का वेतन भी केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर है। ऐसे में आठवें वेतन आयोग के लागू होने पर केंद्र के अधीन आने वाले विभागों के कर्मचारियों का वेतन बढ़ेगा। इस लिहाज से भी केंद्र सरकार का यह दांव दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए संजीवनी साबित होने वाला है।
दिल्ली की 20 सीटों पर भाजपा पलट सकती है बाजी
दिल्ली की 20 विधानसभा सीटों पर लाखों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनधारक रहते हैं। जिन्हें सीधे तौर पर आठवें वेतन आयोग का लाभ मिलेगा। एक आंकड़े के अनुसार दिल्ली में करीब 10 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारक रहते हैं। इनमें तकरीबन पांच लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। जबकि इतने ही पेंशनधारक हैं। इसके अलावा दिल्ली के अकेले रक्षा मंत्रालय और दिल्ली सरकार के कर्मचारियों की संख्या करीब 4 लाख है। ये कर्मचारी चुनाव की दशा और दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनमें नई दिल्ली, दिल्ली कैंट, आरके पुरम, मुखर्जी नगर, कस्तूरबा नगर, जंगपुरा, कमला नगर, आंबेडकर नगर, साकेत, मालवीय नगर, कालकाजी, खानपुर, वजीरपुर, पटपड़गंज, राजेंद्र नगर और पटेल नगर प्रमुख सीटें हैं। आम आदमी पार्टी की कब्जे वाली इन सीटों पर मोदी सरकार का यह दांव चुनाव की दिशा बदल सकता है। दिल्ली में 27 साल से वनवास झेल रही भाजपा
दिल्ली में साल 1993 के चुनाव में
भाजपा ने सरकार बनाई थी। उसके बाद साल 1998 में भाजपा के हाथ से दिल्ली की सत्ता चली गई। इसके बाद भाजपा की दिल्ली की सत्ता में वापसी नहीं हो सकी। पहले 15 साल तक कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार के मुकाबले में भाजपा खड़ी नहीं हो पाई। इसके बाद 12 साल से आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के सामने भाजपा पस्त नजर आई। हालांकि इस बार दिल्ली के चुनावी दंगल में उतरी भाजपा कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती है। ऐसे में आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा दिल्ली चुनाव के लिए काफी अहम मानी जा रही है।
इस बार भाजपा ने बदली चुनावी रणनीति
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के लिए भाजपा ने इस बार अपनी चुनावी रणनीति भी बदल ली है। इसके तहत दिल्ली के मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए अलग-अलग तैयारी की है। इसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल से लेकर केंद्रशाषित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों तक जिम्मेदारी तय की गई है। इसके तहत दिल्ली के मतदाताओं को वर्गों में बांटकर हर विधानसभा क्षेत्र में एक बड़े नेता के नेतृत्व में समूह तैयार किया है। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा भी इसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।
आठवां वेतन आयोग लागू होने से कितना बढ़ेगा वेतन?
हालांकि वेतन वृद्धि के सटीक प्रतिशत का खुलासा नहीं किया गया है, रिपोर्ट से पता चलता है कि फिटमेंट फैक्टर – वेतन और पेंशन निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जाने वाला प्रमुख गुणक – 2.57 से 2.86 तक की वृद्धि देखी जा सकती है। यदि ऐसा होता है, तो सरकारी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मूल वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है, जो 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये हो सकती है। इसके पहले एक जुलाई 2024 को केंद्र सरकार ने कर्मचारी का डीए बढ़ाया था। जो उनके मूल वेतन का 50 प्रतिशत ज्यादा है। क्या है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए संशोधित वेतन और पेंशन राशि की गणना में उपयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह गुणन गुणांक के रूप में कार्य करता है। जो नए आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान को समायोजित करता है। 7वें वेतन आयोग के तहत, फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिसके कारण केंद्र सरकार के कर्मचारियों का न्यूनतम मूल वेतन 6वें वेतन आयोग के तहत 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया। इसमें भत्ते वगैरह शामिल नहीं हैं। अब अगर इसमें महंगाई भत्ता (डीए), मकान किराया भत्ता (एचआरए), परिवहन भत्ता (टीए), और अन्य लाभ जोड़ दिए जाएं तो 7वें वेतन आयोग के तहत कुल न्यूनतम वेतन 36,020 रुपये प्रति माह हो जाता है। अब, 8वें वेतन आयोग के लागू होने पर कर्मचारियों और पेंशनधारकों पर भारी धनवर्षा होने की उम्मीद जाग उठी है।