scriptटंकियों में भरकर आया काला सोना, जुबान पर रखते ही मदहोश हो जाते हैं लोग | Weighing of opium started in Neemuch-Mandsaur district | Patrika News
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टंकियों में भरकर आया काला सोना, जुबान पर रखते ही मदहोश हो जाते हैं लोग

ये मादक होती है, इस कारण लोग इसका उपयोग नशे के रूप में भी करते हैं, अफीम के डोडे यानी सीधे शब्दों में बताएं तो उसका जो फल तैयार होता है, उसका छिलका से लेकर उसके अंदर निकलने वाला दाना भी बिकता है, इस कारण इसे काला सोना कहा जाता है.

नीमचApr 14, 2022 / 02:18 pm

Subodh Tripathi

टंकियों में भरकर आया काला सोना, जुबान पर रखते ही मदहोश हो जाते हैं लोग

टंकियों में भरकर आया काला सोना, जुबान पर रखते ही मदहोश हो जाते हैं लोग,टंकियों में भरकर आया काला सोना, जुबान पर रखते ही मदहोश हो जाते हैं लोग,टंकियों में भरकर आया काला सोना, जुबान पर रखते ही मदहोश हो जाते हैं लोग

नीमच. मध्यप्रदेश के नीमच-मंदसौर जिले में उत्पादित होने वाली अफीम की फसल तैयार हो चुकी है, इसे मालवा का काला सोना भी कहा जाता है, इसका उपयोग दवाईयों के निर्माण में किया जाता है, चूंकि ये मादक होती है, इस कारण लोग इसका उपयोग नशे के रूप में भी करते हैं, इसलिए काला सोना कही जाने वाली अफीम को जुबान पर रखते ही नशा छा जाता है, यही कारण है कि इन जिलों में अफीम की तस्करी भी बहुत होती है।

फिलहाल अफीम का उत्पादन प्राप्त होते ही किसान टंकियों में भरकर नारकोटिक्स विभाग को देने के लिए आने लगे हैं, चूंकि अफीम की पैदावार को नरकोटिक्स विभाग ही खरीदता है, इस कारण नीमच मंदसौर जिले में अफीम का तौल शुरू हो गया है, किसान अपनी अफीम नरकोटिक्स विभाग के चिन्हित स्थानों पर पहुंचकर तुलवा रहे हैं।


इसलिए कहते हैं काला सोना
वैसे तो नारकोटिक्स विभाग अफीम को निर्धारित दर पर ही खरीदता है, चूंकि इसका नशे के रूप में लोग उपयोग करते हैं, इस कारण कई लोग इसे अवैध रूप से बेचते हैं, जिससे उन्हें लाखों रुपए की कमाई होती है, इसके दाम सोने की तरह मिलते हैं, इस कारण इसे काला सोना कहा जाता है। चूंकि अफीम के साथ पोस्ता भी उत्पादित होता है, और वह भी काफी महंगा बिकता है, इसके खोके यानी डोडे को भी नशे के लिए उपयोग किया जाता है, इस कारण अफीम के डोडे यानी सीधे शब्दों में बताएं तो उसका जो फल तैयार होता है, उसका छिलका से लेकर उसके अंदर निकलने वाला दाना भी बिकता है, इस कारण इसे काला सोना कहा जाता है, और इसे पैदा करने वाला किसान भी मालामाल हो जाता है।

मनासा में 19 अप्रैल तक तुलेगी अफीम
मनासा नारकोटिक्स विभाग ने मनासा उपखंड में मंगलवार से अफीम काश्तकारों की अफीम का तौल द्वारिकापुरी धर्मशाला में शुरू किया। जिला अफीम अधिकारी डीओओ महेंद्रसिंह ने बताया मनासा उपखंड में तौल 12 से 19 अप्रैल तक चलेगा। मनासा व रामपुरा के करीब 3900 की अफीम तौली जाएगी।

आज दूसरे दिन 515 काश्तकारों को लोड़किया, साडिया, पावटी, हाड़ीपिपल्या गोटडा, कुंडला, बत्तीसड़ी, बावड़ा, जमुनियारावजी, प्रतापपुरा, साकरियाखेड़ी, दतलाई उच्चेड़, फूलपुरा, भाटखेड़ी भाग एक गफाड़ा, सामिया से बुलाया गया। 505 किसानों ने अफीम दी। गुरुवार को होगा 557 किसानों से अफीम ली जाएगी। इसमें भाटखेड़ी पहला भाग व दूसरा भाग, पिपलोन, कंजार्डा भाग एक भाग दो, पिपलियाघोटा, आत्रि बुजुर्ग, खेड़ी, सेमली जागीर, नलवा, हासपुर भाग एक, मोखमपुरा महागढ़ के किसान शामिल है। मनासा उपखंड में 789 सीपीएस पद्धति के पट्टे भी हैं जिनका तौल भी किया जाना है।

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मंदसौर में भी तौली अफीम
तीनों अफीम खंड पर अफीम तौल का काम शुरु हो गया। अफीम खंड पहले व दूसरे पर बुधवार को तौल का काम शुरु हुआ तो वहीं तीसरे खंड सीतामऊ में एक दिन पहले से ही अफीम तौली जा रही है। शुरुआत के साथ अब केंद्रों पर किसानों की संख्या भी बढ़ेगी। अप्रेल माह के अंत तक सभी किसानों की अफीम का तौल काम पूरा हो जाएगा। इधर किसान भी अपनी अफीम की मार्फिन को लेकर चिंतित है। वहीं अफीम का तौल होने के बाद 24 अप्रेल के बाद डोडा मंगवाने के काम की शुरुआत की जाएगी ।

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