मंदिर के बारे में मुच्छाल परिवार के हरीवल्लभ मुच्छाल ने बताया करीब 101 साल पहले उनके दादा हजारीमल मुच्छाल को सपना आया था। सपने में बताया कि शहर में एक भी राम मंदिर नहीं है। ऐसे में श्रीराम नवमी सहित भगवान राम से जुड़े आयोजन के लिए भक्त परेशान होते है। इसलिए ये जरूरी है कि भगवान का मंदिर बनाया जाए। मंदिर तो बनाने का सपना आ गया व परिवार में सभी को बता दिया। लेकिन सबसे बड़ी समस्या तब भी स्थान को लेकर थी कि मंदिर बनाया कहा जाए। क्योंकि तब भूमि नहीं थी। तब पर दादा जी ने भूमि की खरीदी की व इसके बाद मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कराया व मंदिर बनकर तैयार हो गया।
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कई साल तक स्वयं की सेवा
मंदिर के पुजारी जीवन तिवारी के अनुसार जब मंदिर बना, तब इसको बनाने वाले हजारीमल जी ने स्वयं मंदिर में कई वर्षों तक सेवा की। माहेश्वरी समाज इसकी देखरेख अब करता है। मंदिर का जिर्णोद्वार कार्य चल रहा है। ये संयोग है कि मंदिर को 100 साल बने हुए है व जब अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, तब ही इस मंदिर में भी भगवान हनुमान की प्राण प्रतिष्ठा सोमवार को हुई।
सभी भक्त जरूर आएं
माहेश्वरी समाज अध्यक्ष सुरेश अजमेरा के अनुसार मंदिर के जिर्णोद्वार आयोजन अंतर्गत कई कार्य हो रहे है। इसमें सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, कलश यात्रा का आयोजन हुआ है। अब सोमवार को भगवान हनुमान की प्रतिमा की प्राण – प्रतिष्ठा होगी। भक्तों से अजमेरा ने अपील की, सभी भक्त मंदिर से जुड़े आयोजन में शामिल हो।