आरोपी के खिलाफ नहीं मिला कोई रिकॉर्ड
पंजाब सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से संबंधित मामले में 2000 में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया कि आरोपी को 2012 में दोषी ठहराया गया और दो साल कैद की सजा सुनाई गई। हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि तमाम कोशिशों के बावजूद इस मामले के रिकॉर्ड का पता नहीं लगाया जा सका। दलीलों पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, रिकॉर्ड के पुनर्निर्माण के प्रयासों और उठाए गए कदमों की रिपोर्ट से पता चलता है कि सभी संभावित प्रयासों के बावजूद रिकॉर्ड पुनर्गठित करने के लिए उपलब्ध नहीं है।
इरादों पर संदेह
जस्टिस चितकारा ने कहा कि शायद शुरुआती देरी और उचित समय पर फैसला करने में विफलता ने न्याय की उम्मीदों को विफल कर दिया। मामला इतना पुराना होने के बावजूद याचिकाकर्ता ने इसके फैसले में तेजी लाने के लिए कभी कोई आवेदन दायर नहीं किया। यह इस पुराने मामले पर बहस करने के उसके गंभीर इरादे पर संदेह पैदा करता है।