फुटपाथ पर हजामत का काम करते थे पिता
पर्वतारोहण के लिए उदय पांच मार्च से यात्रा पर हैं। एचएमआइ के ग्रुप कैप्टन जय किशन ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि यह सफलता पूरे विश्व के लिए प्रेरणा है। उदय सारण जिले के बाडोपुर गांव के निवासी हैं और कोलकाता में निजी कंपनी में काम करते हैं। उनके पिता केदार ठाकुर कोलकाता में रेलवे ट्रैक के किनारे फुटपाथ पर हजामत का काम करते थे।
कम उम्र में ही करनी पड़ी नौकरी
घर की माली हालत के कारण उदय को मैट्रिक के बाद कम उम्र में ही नौकरी करनी पड़ी। मात्र 14 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई। शादी के अगले साल 2013 में उनके पिता चल बसे। उदय अब तक देश के दर्जनों शहरों में करीब 100 मैराथनों में भाग ले चुके हैं। हर मैराथन में वह तिरंगा साथ रखते हैं।
2015 में हादसे में गंवा दिया था पैर
उदय अक्टूबर, 2015 में दशहरा की छुट्टी के बाद छपरा से कोलकाता लौट रहे थे। बलिया-सियालदह एक्सप्रेस के गेट के पास बेसिन-नल का प्रयोग करते समय उनका पांव फिसल गया। अस्पताल में उनका पैर काटना पड़ा। ‘वन लेग उदय’ नाम से यूट्यूब चैनल बनाकर वह पांच सौ से ज्यादा मोटिवेशनल वीडियो अपलोड कर चुके हैं।