भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश से जिसे उत्तर की तलाश थी वह जनता ने बदल दिया। वजह कि सवाल ही बदल दिए गए थे। इस बार मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी ने भाजपा को ऐसा झटका दिया है जिस पर भाजपा भी ध्यान देने पर मजबूर हो गई है। राजनीतिक थाती थामे अखिलेश यादव ने वह करिश्मा कर दिया है जो कभी उनके पिता मुलायम सिंह भी न कर पाए थे। उत्तर प्रदेश की 37 सीटों को जीतकर समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के वर्चस्व का सफाया कर दिया।
सबसे बड़ी बात कि अखिलेश यादव ने खुद तो चुनाव जीता ही गठबंधन धर्म के तहत पूरी ताकत लगाकर कांग्रेस को भी उत्तर प्रदेश में 6 सीटें दिलवा दी। पिछले एक दशक में यह कांग्रेस पार्टी का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है। राहुल गांधी ने भी अपने पिता पूर्व पीएम राजीव गांधी के राजनीति को सार्थकता का आकार देते हुए कुल 99 सीटों पर जीत दर्ज की। राहुल गांधी एक अंक से भले ही शतक पूरा करने में भले ही चूक गए लेकिन अब संसद की राजनीति में उनके चौके और छक्के जरूर देखने को मिलेंगें।
लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ा झटका भले ही उत्तर प्रदेश ने दिया हो लेकिन बिहार ने भी जख्म को हरा करने में कोई कसर न छोड़ी। 2019 में एनडीए ने बिहार में क्लीन स्विप कर दिया था लेकिन इस बार तेजस्वी यादव ने नौ सीटों पर इंडिया गठबंधन के तहत झटका दिया है। चार सीटें खुद जीतीं, दो कांग्रेस और दो वाम दल के हिस्से आई। गौरतलब है कि तेजस्वी यादव पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के बेटे हैं और लालू यादव इस समय स्वास्थ्य के आधार पर जेल से बाहर हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि तेजस्वी ने यह तक कर दिया जब उनकी रीढ़ की हडडी में चोट लगी थी और वह व्हीलचेयर पर थे।
बिहार की धरती पर चिराग पासवान ने करिश्मा कर दिया। पिता राम विलास पासवान से मिली राजनीतिक विरासत को उन्होंने 100 फीसदी परिणाम के साथ साबित किया। इस बार एनडीए ने गठबंधन के तहत पांच सीटें दी थी और चिराग पासवान ने पांच की पांचों सीटों पर ही क्लीन स्विप कर दिया। चुनाव से पहले चाचा पशुपति पासवान को साधकर बिहार प्रथम और बिहारी प्रथम के नारे के साथ पूरी तरह से ही कमाल कर दिया।