मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में बुधवार को कहा कि सत्ता और कुर्सी हमेशा नहीं रहती है लेकिन सिद्धांत हमेशा रहते हैं। ऐसे में लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए यह विधेयक प्रस्तुत किया गया है। स्वच्छ लोकतंत्र के लिए यह बहुत ही जरूरी है। जिससे कोई भी दलबदल की हिम्मत न करे। इन विधायकों की मुझसे नाराजगी हो सकती है लेकिन यह पार्टी के साथ धोखा था।
भाजपा के राकेश जम्वाल ने विधेयक संशोधन पर कहा कि इसे बैक डेट से कैसे लागू हो सकता है। यह बदले की भावना से पेश किया गया विधेयक है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजते हुए मुख्यमंत्री को यह विचार करना चाहिए कि उनके विधायक उनसे क्यों नाराज थे। विधयेक चर्चा के दाैरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने भी विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की बात कही।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने संशोधन विधेयक पर कहा कि इससे राजनीतिक प्रतिशोध की बू आ रही है। उन्होंने कहा कि अयोग्य घोषित विधायक संविधान के शेड्यूल दस की परिधि में नहीं आते हैं। इस चर्चा में कांग्रेस के संजय अवस्थी व भाजपा के विपिन सिंह परमार तथा आशीष शर्मा ने भी भाग लिया।
इन विधायकों की पेंशन हो जाएगी बंद
इस विधेयक के कानून बनते ही गगरेट से पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा और कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो की पेंशन बंद हो जाएगी। यह दोनों पहली बार ही विधायक बने थे। इसके अलावा धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजेंद्र राणा, बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर की इस पारी की पेंशन बंद हो जाएगी।