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अवैध काम करने के लिए दबाव डालते थे मुख्यमंत्री, मना किया तो पद से हटाया, CM के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे पूर्व DGP

Punjab: पंजाब के पूर्व डीजीपी विरेश कुमार भावरा ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की बेंच के समक्ष अर्जी दाखिल कर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है।

चंडीगढ़ पंजाबMay 21, 2024 / 08:11 pm

Prashant Tiwari

काम न करने वाले अफसरों पर तो आपने कार्रवाई की बात सुनी होगी। लेकिन क्या कभी आपने ये सुना है कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने राज्य के पुलिस निदेशक को सिर्फ इसलिए उनके पद से हटा दिया क्योंकि DGP ने मुख्यमंत्री के तरफ से दबाव देने के बावजूद अवैध काम करने से इंकार कर दिया। जी हां, ये गंभीर आरोप किसी और ने नहीं बल्कि पंजाब के पूर्व पुलिस निदेशक विरेश कुमार भावरा ने सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर लगाया है। हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर उन्होंने सीएम और सूबे की आप सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाया है। 
अवैध काम करने से इंकार किया तो मुख्यमंत्री ने पद से हटाया 

पंजाब के पूर्व डीजीपी विरेश कुमार भावरा ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की बेंच के समक्ष अर्जी दाखिल कर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने पंजाब की मान सरकार पर आरोप लगाया कि मान सरकार ने उनके ऊपर अवैध काम करने के लिए दबाव डाला था और जब उन्होंने ये करने से इंकार कर दिया तो सीएम  ने उन्हें पद से हटा दिया। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में जीतकर सत्ता में आने के तुरंत बाद भगवंत मान ने उन्हें इस्तीफा देने और महत्वपूर्ण लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए कहा था।  
पद से हटाते समय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया

जस्टिस दीपक सिब्बल और जस्टिस दीपक मनचंदा की बेंच के समक्ष दायर याचिका में पूर्व डीजीपी ने कहा कि मान सरकार ने मार्च 2022 में सत्ता संभाली थी। उसके बाद से ही मेरे ऊपर दबाव था कि मैं पद छोड़ दूं। लेकिन जब मैंने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया। उसने ऐसा करते समय ट्रांसफर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय किए गए नियमों का भी उल्लंघन किया। 
भावरा ने कहा कि इस सरकार ने जैसे ही चार्ज लिया तो मेरे ऊपर दबाव बनाया जाने लगा कि पद से इस्तीफा दे दूं। ऐसा दबाव महज इसलिए डाला जा रहा था क्योंकि उनकी नियुक्ति पिछली सरकार ने की थी। उन्होंने कहा कि मेरी नियुक्ति एकदम वैध थी। यूपीएससी की ओर से तय नियमों के आधार पर ही मुझे डीजीपी बनाया गया था। लेकिन उस वक्त किसी नियम का पालन नहीं हुआ, जब मुझे जबरदस्ती पद से हटा दिया गया। वहीं, इस केस में मौजूदा डीजीपी गौरव यादव को भी पार्टी बनाया गया है।
Chief Minister used to pressurize him to do illegal work, if he refused then he was removed from the post, former DGP reached High Court against CM
राज्य के बाहर के लोगों को सुरक्षा देने के लिए दबाव बनाया

डीजीपी ने इस दौरान यह भी दावा किया कि पंजाब सरकार ने उन पर दबाव डाला था कि राज्य के बाहर के भी कुछ लोगों को पंजाब पुलिस की ओर से सुरक्षा प्रदान की जाए। ऐसा करना गलता था, लेकिन दबाव डाला गया। भावरा ने कहा कि इस सरकार को पता चल गया था कि मैं उनके दबाव में नहीं आऊंगा। फिर इन लोगों ने जून 2022 से मुझे हटाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। इसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया और बाद में राज्य सुरक्षा सलाहकार के पद पर नियुक्ति दी गई।  
4 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

अदालत ने अब केस की अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख तय की है। यह अर्जी वकील बिक्रमजीत सिंह पटवालिया और सुखमणि पटवालिया के माध्यम से दाखिल की गई।

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