केंद्र की मोदी सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सोमवार देर शाम को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का कानून देर शाम को लागू कर दिया। कानून के लागू होते ही जहां कई राज्यों ने इसका स्वागत किया तो वहीं कई राज्यों में इसका विरोध भी होने लगा। विरोध करने में सबसे प्रमुख नाम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालीन और केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन का है। इन सभी नेताओं ने एक स्वर में कहा कि वह केंद्र के इस कानून को अपने- अपने राज्यों में लागू नहीं होने देंगे। वहीं, अब सवाल उठता है कि क्या वाकई में केंद्र के कानून को कोई भी राज्य सरकार लागू होने से मना कर सकती है। तो आइए जानते हैं इसका जवाब…
इन राज्यों ने CAA लागू करने से किया इंकार
केंद्र सरकार द्वारा CAA लागू करने के बाद पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु की सरकार ने तो इस कानून को अपने राज्य में लागू करने से साफ इनकार कर दिया। इन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस कानून को संप्रदाय में विभाजन करने वाला कानून बताया। इसके साथ ही उन्होंने इस कानून को मुस्लिम विरोधी भी बताया। हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया कि इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाने वाली, लेकिन फिर भी कुछ राज्य सरकारें इसे लागू नहीं होने देने पर अड़ी हैं।
सीएए केरल में लागू नहीं किया जाएगा
केंद्र की तरफ से CAA लागू करने के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने कहा कि हमारी सरकार ने बार-बार कहा है कि सीएए केरल में लागू नहीं किया जाएगा। ये मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है। सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी इस कानून के खिलाफ पूरा केरल एकजुट होगा।
CAA से किसी को फायदा नहीं
केंद्र सरकार की तरफ से CAA का कानून जारी करने पर तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि सीएए विभाजनकारी है और इसे तमिलनाडु में लागू नहीं किया जाएगा। इससे किसी को फायदा नहीं होगा।
बंगाल को डिटेंशन कैंप नहीं बनने देंगे
वहीं, इस पूरे मामले में सबसे तीखी प्रतिक्रिया पश्चिम बंगाल की सीेएम ममता बनर्जी ने दी। उन्होंने कहा कि हम बंगाल में किसी भी सूरत में एनआरसी डिटेंशन कैंप बनाने की अनुमति नहीं देंगे और न ही यहां किसी को भी लोगों के अधिकार छीनने की इजाजत देंगे। इसके लिए मैं अपनी जान देने के लिए तैयार हूं।
क्या राज्यों के पास है केंद्र के कानून को रोकने का अधिकार?
इस पूरे मामले पर संविधान के जानकार बताते हैं कि देश की संसद से पास कोई भी कानून राज्यों को लागू करना हीं पड़ता है, क्योंकि राज्यों के पास कोई ऐसा विकल्प नहीं है, लेकिन अगर किसी राज्य को कानून लागू करने में कोई आपत्ति है या उन्हें लग रहा है कि नागरिकों के अधिकार का हनन हो रहा है तो वो इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट कानून पर स्टे या केंद्र को कोई निर्देश देता है तो उस स्थिति में मामला अलग हो सकता है।
सीएए को राज्य सरकारों को लागू करना ही होगा
संविधान कहता है कि सीएए को राज्य सरकारों को लागू करना ही होगा, क्योंकि इसे संसद से पारित किया गया है और नागरिकता का मामला संघ सूची में आता है। अनुच्छेद 246 में संघ और राज्यों के बीच शक्ति का वर्गीकरण किया गया है। इसमें तीन स्तरों पर कानून निर्माण शक्तियों का विभाजन किया गया है। संघ सूची में रक्षा, रेलवे, विदेश और बैंकिंग जैसे मामले आते हैं। राज्य सूची में भूमि, शराब, पुलिस, जन स्वास्थ्य एवं सफाई, कृषि जैसे मामले हैं, जबकि समवर्ती सूची में शिक्षा, वन, पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीव संरक्षण, जैसे मामले शामिल हैं।