साइंस ट्रासलेशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक अमरीका के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अध्ययन यूनिवर्सल एंटीबॉडी सोल्यूशन की ओर एक कदम है, जो सांपों के विष से हमारी सुरक्षा कर सकता है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस (आइआइएससी), बेंगलूरु से पीएचडी कर रहीं सेनजी लक्ष्मी ने कहा कि यह पहली बार है कि सांप के डसने के उपचार के लिए एंडीबाडी विकसित करने की यह रणनीति अपनाई गई।
चूहों पर सफल प्रयोग
शोधकर्ताओं ने बताया कि एटीबॉडी का उद्देश्य दुनिया के सबसे बिषैले जहर थ्री फिंगक टॉक्सिन (3एफटी) के प्रभाव को खत्म करना था। शोध में दावा किया गया कि यह एंटीबॉडी 3 एफटी के 149 वैरिएंट में से 99 पर कारगर है। इसका प्रयोग चूहों पर किया गया। परीक्षण में पाया कि विष देने से चूहे चार घंटे के भीतर मर गए, लेकिन जिन्हें विष-एंटीबॉडी मिश्रण दिया गया, वे 24 घंटे की निगरानी अवधि के बाद भी जीवित रहे और पूरी तरह स्वस्थ दिखे। खास बात है कि यह एटीबॉडी मानव शरीर में ही बनाई जाती है। गौरतलब है कि सांप के काटने से भारत और सहारा अफ्रीका क्षेत्र में सर्वाधिक मौतें होती हैं।